उत्तराखण्ड

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लालकुआं। चाइल्ड सैक्रेड सीनियर सैकेन्ड्री स्कूल में आयोजित दो दिवसीय आनापान व विपश्यना शिविर में सैकड़ों बच्चों ने विपश्यना विधा के माध्यम से एकाग्र चित्त होकर ध्यान लगाया।
शिविर में दिल्ली से आये विपश्यना आचार्य डॉ सुभाष सेठी ने कहा कि वर्तमान में मन को शान्त रखने का एक मात्र उपाय है ध्यान, ध्यान में भी विपश्यना विद्या पूर्णतया वैज्ञानिक पद्धित पर आधारित है।
शिविर के समापन के दौरान प्रश्न-उत्तर कार्यक्रम में डॉ सेठी ने कहा कि विपश्यना विद्या 2600 वर्ष पूर्व सिद्धार्थ गौतम ( भगवान गौतम बुद्ध)ने खोजी। उसी विद्या को आचार्य सत्यनारायण गोइंका द्वारा भारत सहित विश्व के कई देशों में 180 विपश्यना केन्द्रों में निःशुल्क सिखायी जा रही है। उन्होंने कहा कि ऐसे शिविरों मे भाग लेने से क्रोध, ईर्ष्या, द्वेष, हीनभावना, नकारात्मक सोच खत्म होती है और निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है। सेठी ने बताया कि बिना ध्यान के व्यक्ति प्रतिदिन थिंकिंग माइंड पर काम करते है, जिससे केवल एनर्जी वेस्ट होती है, जबकि ध्यान करने से फिलिंग पर काम करते है जिससे पूरे दिन-भर के लिए व्यक्ति एनर्जेटिव हो जाता है, उन्होंने कहा कि शरीर कैमिकल की फैक्ट्री है हम हर तरह का कैमिकल शरीर के अन्दर तैयार करते है। कैमिकल खान-पान व मन द्वारा भी तैयार होते है इन्हीं कैमिकलों की गड़बढी से व्यक्ति बिमार हो जाता है। उनके साथ आये बच्चों के कोर्स के टीचर हरीश तिवारी ने कहा कि उत्तराखण्ड देव भूमि है यहां ध्यान की प्रकाष्टा होनी चाहिए, लोगों को अधिक से अधिक ध्यान केन्द्रों में आकर ध्यान सीखना चाहिए। कार्यक्रम में विधायक डॉ मोहन बिष्ट ने भी भाग लिया। इस दौरान दिल्ली, उत्तराखण्ड व उत्तर प्रदेश के कई साधकों ने विपश्यना शिविर में भाग लिया। जिसमें चेतन पाण्डे, जगदीश पाण्डे, उमेश पहलवान, उमेश जोशी सहित कई विपश्यी साधक व साधिकाऐं उपस्थित थी ।
फोटो परिचय- विपश्यना शिविर में – ध्यान करते लोग।

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