
हल्द्वानी। मुनस्यारी के धापा गांव में शनिवार की रात जंगली मशरूम खाने से कुमाऊंनी लोकगायक गणेश मर्तोलिया की बहन दीया और नानी कुंती देवी की तबीयत बिगड़ गई। सीएचसी मुनस्यारी से जिला अस्पताल पिथौरागढ़ और वहां से दोनों को एसटीएच हल्द्वानी रेफर कर दिया गया। रविवार रात उपचार के दौरान एसटीएच में दोनों की मौत हो गयी।
पिथौरागढ़ के धापा गांव में कुमाऊंनी लोकगायक गणेश मर्तोलिया की बहन और नानी की जंगली मशरूम खाने से मौत के बाद परिवार में शोक की लहर है। मुनस्यारी से हल्द्वानी तक तीन अस्पतालों तक पहुंचने के बाद भी दोनों को नहीं बचाया जा सका। इस दौरान दोनों को करीब 250 किमी लंबा सफर तय करना पड़ा। कटघरिया में गणेश मर्तोलिया के आवास में मृतक नानी और बहन के अंतिम दर्शन को लोगों की भारी भीड़ लगी रही। और चित्रशिला घाट में उनका अंतिम संस्कार किया गया।
पंचाचुली देश कुमाऊंनी गाने से लोकप्रिय हो चुके एसबीआई में कार्यरत गणेश ने रुंधी आवाज में बताया कि उनकी बहन, नानी उनके साथ ही रहती थीं। उनके पिता जोहार में हैं। गर्मियों में नानी को दिक्कत होती थी इसलिए वह मई में चलीं गई। नानी काफी वृद्ध थीं इसलिए बहन को भी उनके साथ भेजा था। जानकारी न होने के कारण खेत में उगा जंगली मशरूम दोनों ने खा लिया था। उसके बाद बहन का फोन आया रात में कि तबीयत बिगड़ रही है। जिसके बाद गांव के किसी रिश्तेदार को फोन कर उन्हें 14-15 किमी दूर मुनस्यारी में अस्पताल में भिजवाया गया। इस दौरान उन्हें उल्टी-दस्त शुरू हो चुके थे। लेकिन अस्पताल में पर्याप्त सुविधाएं न होने के कारण 13 जुलाई की सुबह उन्हें डिस्चार्ज कर बहन को एंबुलेंस और नानी को एक निजी गाड़ी के माध्यम से पिथौरागढ़ अस्पताल भर्ती कराया गया। यहां से भी बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं मिली तो दोनों को एंबुलेंस के माध्यम से हल्द्वानी लाने की तैयारी की गई। लेकिन किसे पता था कि ऐसा हो जाएगा। दोष किसे दें समझ नहीं आता है। दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में आज भी स्वास्थ्य की व्यवस्थाएं दुरस्त नहीं हो सकी हैं।
इधर मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ. अरुण जोशी ने बताया कि एक अच्छी प्रजाति के मशरूम को लोग बिजनेस के लिए उचित तापमान में उगाते हैं जो काफी महंगा आता है। दूसरा मशरूम जंगली कहलाता है जो कहीं भी उग जाता है। खासकर बरसात के मौसम में यह अधिकांश जगहों पर उगता हुआ देखा जा सकता है। इसमें भी कोइ ज्यादा जहरीला होता है तो कोई कम। इसका पता लगाना बेहद मुश्किल है। इसे खाने से सिर दर्द, उल्टी और पेट खराब होता है। यह लीवर और गुर्दे को खराब कर देता है। बताया कि सुशीला तिवारी अस्पताल में जहरीला मशरूम खाने के साल भर में सात से आठ मामले आते हैं। इनमें कुछ लोग मशरूम ज्यादा जहरीला नहीं होने के कारण बच भी जाते हैं। लेकिन लोगों को जंगली मशरूम को नहीं खाना चाहिए।
