उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नंदकिशोर कपिल का देर रात आकस्मिक निधन हो गया। उनकी अंतिम यात्रा उनके निवास स्थान हरिपुर लच्छी हल्दूचौड़ से प्रातः निकाली गई और रानीबाग स्थित चित्रशिला घाट उनका विधिवत अंतिम संस्कार किया गया। लोकप्रिय नेता एनके कपिल के निधन का दुखद समाचार मिलते ही क्षेत्र में शोक की लहर फैल गई है। एनके कपिल की गिनती उन कांग्रेस नेताओं में की जाती थी जिन्होंने सदैव कांग्रेस का जनाधार बढ़ाने का काम किया।कांग्रेस की राजनीति के साथ ही वह सामाजिक क्षेत्र में भी सदैव आगे रहते थे। उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश संयुक्त ट्रेड यूनियनों में रहते हुए उन्होंने तमाम आंदोलनों में मजदूरों का प्रतिनिधित्व करने के साथ ही राज्य आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, उनके आकस्मिक निधन से कांग्रेस संगठन ने एक बेहद शानदार नेता को खो दिया है।
नन्दकिशोर कपिल का 83 वर्ष में हुवा निधन
किसान एवं श्रमिक आन्दोलन की अपूर्णनीय क्षति।
साधारण किसान परिवार में जन्मे उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग कर्मचारी के रुप मे अपना प्रारम्भिक सफर शुरु करने वाले कपिल जी ने विभाग में शोषण, अन्याय के खिलाफ जबरदस्त आवाज उठाई जोकि धीरे धीरे पूरे उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारियों की आवाज व सँघर्ष के प्रतीक बन गई जिसके चलते वह नेता बन गये। इसके अलावा कपिल जी हमेशा क्षेत्र की समस्याओं विशेषकर सिचाई, गन्ना व अन्य ज्वलंत मुद्दों के प्रति जागरूक रहे। राजकीय सेवा से त्याग पत्र देकर 1985 में व 1989 में भारतीय जनता पार्टी से हल्द्वानी विधानसभा सीट तब रानीबाग, हल्द्वानी, से किच्छा, बरा, रुद्रपुर और गदरपुर तक से दो बार विधानसभा चुनाव लड़े। भारतीय जनता पार्टी के संघर्ष के दिनों के कर्मठ साथी रहे कपिल जी का दुर्भाग्य रहा कि जब पार्टी पावरफुल हुई तो तत्कालीन दिग्गज कांग्रेसी नेता पंडित नारायण दत्त तिवारी के आवाहन पर बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गये, किसान, श्रमिकों एवं खनन समस्याओं के लिये वह निरन्तर कार्य करते रहे। वर्तमान में कपिल जी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के नजदीकी नेताओं में गिने जाते थे, कपिल जी तराई भाबर के कृषको की समस्याओं को उच्च स्तर पर पहुंचाने वाले जनप्रतिनिधि के रूप में लंबे समय तक याद रखे जाएंगे। शत-शत नमन