उत्तराखण्ड

अंकिता हत्याकांड मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रकरण में चर्चा में आए इस वीआईपी के खिलाफ की कार्रवाई की मांग……..

हल्द्वानी। बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में कोटद्वार की अपर जिला एवं सत्र न्यायालय की न्यायाधीश रीना नेगी ने आरोपी पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई हैं, इससे पूर्व कोटद्वार में लोगों ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए न्यायालय में घुसने का प्रयास किया था, वह अंकिता भंडारी के हत्यारे को फांसी की सजा देने की मांग कर रहे थे, इस दौरान पुलिस को उन पर पानी की बौछार करनी पड़ी, तथा कईयों को हिरासत में भी लेना पड़ा।
कोर्ट के फैसले के बाद हल्द्वानी में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, हरीश रावत ने कहा है कि देर ही सही लेकिन अंकिता भंडारी को न्याय मिला है।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा अंकिता के माता-पिता के साथ-साथ उत्तराखंड के लोगों की उम्मीद थी कि आरोपियों को मृत्युदंड मिलेगा, लेकिन न्यायालय ने उनको आजीवन कारावास दिया है, उन्होंने कहा न्यायालय के फैसले का स्वागत है, लेकिन इस पाप में जो वीआईपी लोग शामिल थे उनके ऊपर भी कार्रवाई होनी चाहिए, उन्होंने कहा अंकिता भंडारी हत्याकांड के सबूत को मिटाने का पूरा प्रयास किया गया। हरीश रावत ने इस घटना के लिए पूरी तरह दोषी उसे वीआईपी के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की जिसे अब तक बचाया जा रहा है, जबकि उस वीआईपी का अंकिता के माता-पिता ने नाम भी लिया है। और उसे ही एक्स्ट्रा सर्विस देने के नाम पर अंकिता को टॉर्चर किया गया और बाद में उसकी हत्या कर दी गई, ऐसा उसके परिजन चीख-चीख कर कह रहे हैं।

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उल्लेखनीय है कि अंकिता हत्याकांड मामले में क्रमवार इस तरह घटना घटित हुई,
रिजॉर्ट के मालिक पुलकित ने 20 सितंबर 2022 को अंकिता के गुम होने की राजस्व क्षेत्र पट्टी उदयपुर पल्ला में शिकायत की।
लोगों का प्रदर्शन शुरू हुआ तो 22 सितंबर 2022 को जिलाधिकारी के आदेश से यह मामला नियमित पुलिस लक्ष्मणझूला थाने को दिया गया।
लक्ष्मण झूला पुलिस ने जांच की और पुलकित, अंकित और सौरभ से पूछताछ में पता चला कि उन्होंने 18 सितंबर को उसकी हत्या कर दी।
हत्या का कारण यही आया कि तीनों उस पर अनैतिक कार्यों को करने का दबाव डाल रहे थे। राज बाहर न आए इसलिए उसे चीला नहर में धक्का दे दिया।
22 सितंबर को पुलिस ने मुकदमे से अपहरण की धारा हटाकर हत्या, साक्ष्य छुपाने और आपराधिक षडयंत्र की धारा जोड़ दी।
23 सितंबर को न्यायालय के आदेश पर तीनों आरोपियों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया। इस दौरान भी लोगों ने उग्र प्रदर्शन किया।

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