उत्तराखंड बोर्ड ने हाईस्कूल की छात्रा को 76 अंकों की जगह 28 अंक दे दिये। कम अंक मिलने से उक्त छात्रा मेरिट लिस्ट में आने से वंचित रह गई। टोटल अंक जोडक़र 76 अंक दिये लेकिन अंतिम मोहर 28 अंकों में लगा दी। उत्तराखंड बोर्ड के इस कारनामे की जमकर चर्चा हो रही है।
बोर्ड की ओर से 10वीं की छात्रा को विज्ञान में 76 अंक के स्थान पर 28 अंक दे दिए गए हैं। छात्रा की ओर से बोर्ड से उत्तर पुस्तिका मंगाए जाने पर प्रकरण का खुलासा हुआ है। जिससे अन्य छात्र-छात्राओं के अंकों में भी गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है। शिक्षा निदेशक ने कहा है कि प्रकरण की जांच कराई जाएगी।
देहरादून के झबरावाला निवासी नेहा ममगाई राजकीय इंटर कालेज बुल्लावाला में 10वीं की छात्रा है। उसे 10वीं की 2022 की बोर्ड परीक्षा में विज्ञान के सैद्धांतिक प्रश्नपत्र में मात्र 28 अंक दिए गए। छात्रा के मुताबिक उसने परीक्षा में सभी प्रश्नों के सही उत्तर लिखे थे, लेकिन बोर्ड की ओर से उसे कम अंक दिए जाने पर उसने परीक्षा परिणाम घोषित होने के 30 दिन के भीतर बोर्ड से मूल्यांकित उत्तर पुस्तिका की छाया प्रति मांगी।
पता चला कि परीक्षक की ओर से उसे 76 नंबर की जगह मात्र 28 अंक दे दिए गए हैं। छात्रों के मुताबिक मूल्यांकन में भी कुछ गलतियां सामने आई हैं। मूल्यांकित उत्तर पुस्तिका के भीरत के पृष्ठों पर दिए गए अंक जोड़ने पर 77 अंक हो रहे हैं। जबकि पहले पेज में योग 76 अंक दर्शाया गया है। नेहा को हाईस्कूल 2022 की परीक्षा में हिंदी में 93, अंग्रेजी में 93, गणित में 92, सामाजिक विज्ञान में 95 और पेंटिंग में 83 अंक मिले हैं। छात्रा के अभिभावकों के मुताबिक यदि बोर्ड की ओर से उनकी बेटी की उत्तर पुस्तिका की सही से जांच कराई जाती तो उनकी बेटी बोर्ड की मेरिट लिस्ट में होती।
शिक्षा निदेशक आरके कुंवर का कहना हैं कि उत्तराखंड बोर्ड के छात्र-छात्राओं की उत्तर पुस्तिकाओं की विभिन्न स्तर पर जांच होती है, इस प्रकरण की जांच कराई जाएगी। इसके लिए जो कोई भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
घोर लापरवाही:- उत्तराखंड शिक्षा बोर्ड ने दसवीं की छात्रा को 76 की जगह दिए 28 अंक, बोर्ड की लापरवाही से बालिका मेरिट लिस्ट में स्थान पाने से हुई वंचित
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