उत्तराखण्ड

हल्द्वानी की रेल भूमि से अतिक्रमण हटाने के मामले में हाईकोर्ट नैनीताल के आदेश को देश के वरिष्ठ वकीलों के इन तर्कों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक…… वनभूलपुरा वासियों को फिलहाल मिली भारी राहत….

उच्चतम न्यायालय ने हल्द्वानी के बहुचर्चित वनभूलपुरा रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने के नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए रेलवे से कई सवाल पूछे हैं।
मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्वास स्कीम को लेकर भी राज्य सरकार से जानकारी मांगी है. बहस के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा रेलवे का विकास भी नहीं रुकना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे से भी जमीन के बारे में जानकारी मांगी है.

सुप्रीम कोर्ट में करीब आधा घंटा इस मामले पर बहस चली बहस की शुरुआत में अतिक्रमण हटाने के खिलाफ याचिका दायर करने वाले वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि लोगों को कोई अवसर नहीं दिया गया. यह कोविड के समय में हुआ. सुनवाई का लब्बोलुआब ये निकला कि फिलहाल वनभूलपुरा के 4000 से ज्यादा मकान नहीं गिराए जाएंगे.

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जस्टिस जे कौल ने कहा कि हमें एक व्यावहारिक समाधान खोजना होगा. कई कोण हैं, भूमि की प्रकृति प्रदत्त अधिकारों की प्रकृति इन पर विचार करना होगा. हमने यह कहकर शुरू किया कि हम आपकी ज़रूरत को समझते हैं लेकिन उस ज़रूरत को कैसे पूरा करें. इस पर एएसजी ने कहा कि हमने उचित प्रक्रिया का पालन किया है. इस पर न्यायाधीश कौल ने कहा कि कोई उपाय खोजना होगा. एएसजी ने कहा कि हम किसी भी पुनर्वास के आड़े नहीं आ रहे हैं.

फैसले के बाद क्या बोले सीएम धामी: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सीएम धामी का बयान भी सामने आया है. सीएम धामी ने कहा हमने पहले भी कहा है कि यह रेलवे की जमीन है. हम कोर्ट के आदेश के अनुसार ही आगे बढ़ेंगे.

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जानें पूरा मामला: नैनीताल जिले के हल्द्वानी में रेलवे की भूमि पर करीब चार हजार से ज्यादा घर बने हुए है. जिन्हें हटाने के लिए रेलवे ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अपने आदेश में रेलवे को इन घरों को खाली कराने का आदेश दिया था. रेलवे ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर अतिक्रणकारियों को सार्वजनिक नोटिस जारी किया था. इसमें हल्द्वानी रेलवे स्टेशन से 2.19 किमी दूर तक अतिक्रमण हटाया जाना है. खुद अतिक्रमण हाटने के लिए सात दिन का समय दिया गया था.

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रेलवे की तरफ से जारी नोटिस में कहा गया था कि हल्द्वानी रेलवे स्टेशन 82.900 किमी से 87.710 किमी के बीच रेलवे की भूमि पर सभी अनाधिकृत कब्जों को तोड़ा जाएगा. सात दिन के अंदिर अतिक्रमकारी खुद अपना कब्जा हटा लें, वरना हाईकोर्ट के आदेशानुसार अतिक्रमण को तोड़ा दिया जाएगा.

उत्तराखंड हाईकोर्ट के इस आदेश को बीते सोमवार दो जनवरी को हल्द्वानी के शराफत खान समेत 11 लोगों की याचिका को वरिष्ठ वकील अधिवक्तता सलमान खुर्शीद की ओर से दाखिल की गई थी, जिस पर आज पांच जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की और उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी.

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