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फरवरी में देश की रक्षा को मुस्तैद होगा एस-400 सिस्टम, चीन और पाकिस्तान के हमलों को आकाश में ही खत्म करेगा।

भारतीय वायुसेना फरवरी तक अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 की पहली बैटरी की तैनाती सुनिश्चित कर देगी। अमेरिका की कड़ी आपत्ति के बावजूद रूस से खरीदे गए इस डिफेंस सिस्टम की तैनाती पंजाब के वायुसेना अड्डे पर की जा रही है।
नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना फरवरी तक अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 की पहली बैटरी की तैनाती सुनिश्चित कर देगी। अमेरिका की कड़ी आपत्ति के बावजूद रूस से खरीदे गए इस डिफेंस सिस्टम की तैनाती पंजाब के वायुसेना अड्डे पर की जा रही है। यह जानकारी सेना के सूत्र ने दी है। पंजाब के वायुसेना अड्डे पर एयर डिफेंस सिस्टम की तैनाती का कार्य शुरू हो गया और छह सप्ताह में यह पूरा हो जाएगा।

पंजाब के वायुसेना अड्डे पर हो रही तैनाती

एस-400 सिस्टम की तैनाती ऐसे स्थान पर की जा रही है, जहां से यह चीन और पाकिस्तान, दोनों देशों से होने वाले हवाई हमलों का मुकाबला कर सकेगा। यह सिस्टम दुश्मन की ओर से आने वाली मिसाइल, लड़ाकू विमान, अटैक हेलीकाप्टर और ड्रोन को डिटेक्ट कर उसे हवा में ही नष्ट करने में सक्षम है। करीब पांच अरब डालर (करीब 40 हजार करोड़ रुपये) में इस सिस्टम की पांच बैटरी खरीदने का रूस से सौदा हुआ है।

अमेरिका की कड़ी आपत्ति के बावजूद खरीदा गया एस-400 सिस्टम

भारत और रूस के बीच यह सौदा अमेरिका की कड़ी आपत्ति के बावजूद हुआ है। रूस के साथ किसी भी तरह के रक्षा सौदे पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगा रखा है। इस प्रतिबंध की अनदेखी कर हथियार खरीदने या सुरक्षा से जुड़ी जानकारियां साझा करने पर अमेरिका काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट (काटसा) के तहत कार्रवाई कर सकता है।

रूस से एस-400 सिस्टम खरीदने पर अमेरिका ने इसी कानून के तहत अपने नाटो सहयोगी देश तुर्की पर कार्रवाई की है। डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में भारत और रूस के बीच हुए इस सौदे को रुकवाने के लिए पूरी कोशिश की गई थी, बाद में बाइडन प्रशासन ने भी वैसी ही कोशिश की। लेकिन भारत सरकार एस-400 सिस्टम खरीदने के फैसले पर अटल रही। अमेरिकी संसद में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने एक स्वर में भारत के खिलाफ काटसा के तहत कार्रवाई न करने की मांग की है और राष्ट्रपति को पत्र लिखा है।

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