देहरादून। उत्तराखंड राज्य की स्थापना दिवस के रजत जयंती मौके पर अपनत्व की भावनाओं से ओत-प्रोत प्रवासी उत्तराखंडियों का कार्यक्रम आयोजित किया गया, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रवासी उत्तराखंडियों द्वारा प्रदेश के लिए किये जा रहे साहसिक कार्यों की प्रशंसा की। उक्त कार्यक्रम में देश के विभिन्न कोनो एवं विदेश से भी प्रवासी उत्तराखंडी पहुंचे थे।
इस दौरान लखनऊ से पहुंचे वरिष्ठ साइंटिस्ट एमपी भट्ट ने कार्यक्रम को संबोधित कर अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि ज़िला टिहरी गढ़वाल के भद्रासू (पूजारगांव) तथा झनौं — इन दो ग्रामों को गोद लेकर उन्हें सेवा का धर्म निभाने का जो सौभाग्य प्रदान हुवा है, वह उनके जीवन की अब तक की सबसे पवित्र एवं आध्यात्मिक उपलब्धि है। उन्होंने प्रवासी उत्तराखंडियों को इस कार्य के लिए प्रेरित करने के लिए मुख्यमंत्री उत्तराखंड पुष्कर सिंह धामी द्वारा जो प्रयास किए गए उसकी सराहना की, तथा बताया कि उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रवासी उत्तराखंडियों को जो आत्मीय सम्मान दिया गया वह उनके जीवन की अमिट स्मृति बन गया है। वरिष्ठ साइंटिस्ट एमपी भट्ट ने कहा कि गोद लिए गए इन ग्रामों की दिशा और दशा में जबरदस्त सकारात्मक परिवर्तन आया है।
इस दौरान अन्य प्रवासियों ने भी अपने उद्बोधन में कहा कि प्रवासी उत्तराखंडियों के इस आयोजन का हिस्सा बनना उनके लिए पूर्ण आत्मसंतोष और गर्व का क्षण हैं।
प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन कार्यक्रम के शुभारंभ के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इन सभी प्रवासियों ने अपने राज्य से दूर रहकर उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को संजो कर रखा है. साथ ही अपनी संस्कृति को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास भी कर रहे हैं. ऐसे में यह सभी प्रवासी, उत्तराखंड राज्य के सच्चे ब्रांड एंबेसडर हैं. उन्होंने कहा उत्तराखंड की पहचान और गौरव को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में सभी प्रवासियों की ओर से लगातार प्रयास किया जा रहा है।
सीएम ने कहा पिछले चार सालों में राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में उन्हें देश-विदेश के तमाम शहरों में जाने का अवसर मिला. जिस दौरान प्रवासी उत्तराखंडी भाई बहनों से मुलाकात हुई. इस दौरान उन्होंने महसूस किया कि भले ही प्रवासी उत्तराखंड से मिलो दूर रह रहे हो लेकिन आज भी अपने पूर्वजों के स्थान और पैतृक गांव से जुड़े हुए हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा ये साल उत्तराखंड राज्य के लिए महत्वपूर्ण वर्ष है क्योंकि राज्य स्थापना के 25 साल पूरे हो रहे हैं. ऐसे में इस वर्ष को रजत जयंती वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है. इस रजत जयंती वर्ष में देश दुनिया में रह रहे प्रवासी उत्तराखंडी अपने पैतृक गांव से जुड़े, अपने पूर्वजों के स्थान के विकास के लिए अपना योगदान दें. साथ ही सरकार उनसे सुझाव ले, इसके लिए प्रवासी उत्तराखंड सम्मेलन का आयोजन किया गया.
उल्लेखनीय है कि देहरादून यूनिवर्सिटी में प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन का कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमें 11 राज्यों से करीब 199 से अधिक प्रवासी शामिल हुए. यह उत्तराखंड में दूसरी बार प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन का आयोजन किया गया।





