पर्वतीय क्षेत्रों में तेंदुए का आतंक जारी, ग्रामीण को बनाया निवाला, आठ दिन बाद जंगल में मिला क्षत-विक्षत शव
सर्दी के सीजन में पर्वतीय क्षेत्रों में हिंसक पशुओं का गांव की ओर रुख एवं हमला जारी है पिथौरागढ़ जिले के थल क्षेत्र के डुंगरी गांव निवासी राजेंद्र सिंह मेहता पुत्र कान सिंह मेहता को तेंदुए ने अपना निवाला बनाया। नौवें दिन राजेन्द्र का शव जंगल में क्षत-विक्षत बरामद हुआ है। राजेन्द्र लालघाटी में विगत कई वर्षों से काम करता था। एक जनवरी 2022 को वह दुकान बंद कर शाम आठ बजे लालघाटी से अपने घर डूंगरी को रवाना हुआ, लेकिन रात तक वह घर नहीं पहुंचा तो स्वजनों ने उसकी खोज शुरू की।
राजेन्द्र का आठ दिन तक कोई पता नहीं चल सका। रविवार को डुंगरी गांव के नवयुवकों ने सीसीटीवी फुटेज के अनुसार लालघाटी क्षेत्र में खोजबीन की तो शाम को सड़क से दो सौ मीटर नीचे एक झाड़ी में उसका क्षत-विक्षत शव मिला। प्रथम दृष्ट्या देखने में उसकी मौत तेंदुए के शिकार के रूप में प्रतीत हो रही है। तेंदुए ने मृतक के चेहरे और पेट वाले हिस्से के सारे मांस को नोंचकर खाया हैं।
सूचना मिलने पर थल थाने के थानाध्यक्ष हीरा सिंह डॉगी पुलिस टीम कॉस्टेबल रमेश शर्मा, गणेश राम तथा वन विभाग के वन बीट अधिकारी नवीन चंद्र जोशी,योगेश कुमार घटनास्थल पर पहुंचे। शव को खाई से पुलिस टीम ने ग्रामीणों के मदद से निकाला। थानाध्यक्ष हीरा सिंह डॉगी ने बताया कि सोमवार सुबह शव का पंचनामा भर कर पोस्टमार्टम के लिए जिला मुख्यालय को भेज दिया हैं।
आज से ढेढ़ साल पहले भी मृतक को उसके घर के खेत के पास गुलदार ने जानलेवा हमला किया था।तब खेत में काम कर रही महिलाओं के हल्ला करने से उसकी जान बची थी। राजेंद्र की मौत से उसकी पत्नी सहित दोनों बेटे सदमे में है। लालघाटी क्षेत्र में गुलदार के हमले में राजेंद्र के मौत की खबर से लोगों में दहशत फैल गई हैं। शव को खाई से निकालने में सुनील सत्याल, होशियार नेगी, होम गार्ड कुंदन, वीरेंद्र मेहता, लाल सिंह,त्रिलोक खड़ायत ने पुलिस टीम की सहायता की ।