देवभूमि उत्तराखंड की प्राचीन संस्कृति की अद्भुत झलक है हल्दूचौड़ का कौतिक मेला सात दिवसीय उत्तरायणी मेले की तैयारियाँ जोरों पर
हल्दूचौड़(नैनीताल)
यह जानकारी देते हुए कौतिक संस्था के अध्यक्ष दिनेश पाण्डेय ने कहा उत्सव मेले लोक संस्कृति का प्रमुख अंग है।इनमें अपनी संस्कृति की झलक के दर्शन होते है।मेले ही एक ऐसा माध्यम है।जिनमें सामाजिकता व संस्कृति का एक साथ संगम देखनें को मिलता है।उन्होनें कहा मेले के आयोजनों से संस्कृति के दर्शन होनें के साथ ही पर्यटन एवं तीर्थाटनों को बढ़ावा मिलता है।तथा एक दूसरें के निकट आनें और आपसी सहयोग व सौहार्द की भावना बढ़ती है।तथा सांस्कृतिक आदान प्रदान होता है।
श्र पाण्डेय ने कहा मेले न केवल मनोरंजन के साधन हैं, अपितु ज्ञानवर्द्धन के साधन भी कहे जाते हैं। प्रत्येक मेले का इस देश की धार्मिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक परम्पराओं से जुड़ा होना इस बात का प्रमाण हैं कि ये मेले किस प्रकार जन मानस में एक अपूर्व उल्लास, उमंग तथा मनोरंजन से मानव में उत्साह भरते है।यहां की संस्कृति यहाँ के मेलों में समाहित है। मेलों में ही यहाँ का सांस्कृतिक स्वरुप निखरता है। धर्म, संस्कृति और कला के व्यापक सामंजस्य के कारण हल्दूचौड़ के आंचल में मनाये जाने वाले इस उत्सव का स्वरुप बेहद मनभावन है।
उन्होनें कहा मेलो के माध्यम से संस्कृति का दर्शन होता है। जिनमें यहाँ के लोक जीवन, लोक नृत्य, गीत एवं परम्पराओं की भागीदारी सुनिश्चित होती है।उन्होंने बताया उत्तरायणी महोत्सव का कार्यक्रम अटल उत्कृष्ट राजकीय इंटर कालेज हल्दूचौड़ में आठ 8 जनवरी 2023 से जनवरी से 14 जनवरी 2023 तक रहेगा जो अपने आप में अनूठा व अदितीय होगा मेले में उत्तराखण्ड के कलाकारों सास्कृतिक दलों लाक कलाकारों के अलावा स्वानीय कलाकारों महिलाओं के झोड़ों की रंगारंग प्रस्तुति होगी मले स्टाल,दूकानें,मनोरंज हेतु झूले समेत अन्य मनोरंजन के साधन होगे।