भाड़ा बढ़ाने को लेकर खनन व्यवसायियों की स्टोन क्रेशर संचालकों से तकरार धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। सैकड़ों खनन व्यवसायियों ने बुधवार को जहां लालकुआं से हल्द्वानी तक जबरदस्त प्रदर्शन किया, वहीं एसडीएम कोर्ट में भी दिन भर धरना दिया। उसके बावजूद अब तक इस समस्या के समाधान की कोई गुंजाइश नजर नहीं आ रही है। अब गुरुवार को मुख्यमंत्री धामी हल्द्वानी आ रहे हैं, वह दोपहर को 1:30 बजे हल्द्वानी पहुंचेंगे और 3:00 बजे यहां से देहरादून को रवाना हो जाएंगे। ऐसे में भाजपा नेता खनन व्यवसायियों के साथ मिलकर उनसे पुनः वार्ता कर सकते हैं, क्योंकि इधर खनन व्यवसायियों ने उनकी मांग पूरी न होने पर प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम के विरोध करने का ऐलान कर दिया है। ऐसे में राज्य सरकार को अविलंब खनन व्यवसायियों की सुध लेनी होगी। क्योंकि पिछले 1 सप्ताह से राज्य सरकार अब तक रॉयल्टी के रेट कम नहीं करा पाई है।
वैसे भी गौला नदी में खनन में लगे वाहन स्वामियों और क्रेशर स्वामियों के बीच चल रहा गतिरोध और बढ़ गया है। गौला नदी में खनन चुगान कार्य में लगे वाहन स्वामियों ने भाड़ा बढ़ाए जाने की मांग को लेकर बुधवार को विशाल प्रदर्शन किया।
लालकुआं से हल्द्वानी तक निकाले गए जुलूस को प्रशासन ने गांधी स्कूल के पास रोकना चाहा, लेकिन हजारों की संख्या में मौजूद वाहन स्वामी और मजदूरों ने बैरिकेडिंग लांघते हुए एसडीएम कोर्ट पहुच गए और प्रदर्शन शुरू कर दिया।
वाहन स्वामियों की सबसे बड़ी मांग उनका भाड़ा बढ़ाए जाने की है जबकि इस मामले में अब तक दो बार जिलाधिकारी स्तर पर स्टोन क्रेशर स्वामियों और वाहन स्वामियों के बीच वार्ता विफल हो चुकी है।दरअसल जिला अधिकारी के साथ दो बार हो चुकी वार्ता में क्रेशर स्वामी ₹31 भाड़ा देने तक सहमति जता चुके हैं जबकि वाहन स्वामी 33 रुपये न्यूनतम भाड़ा दिए जाने की मांग कर रहे हैं। यही वजह है कि यह गतिरोध खत्म नहीं हो रहा है।
स्टोन क्रेशर एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल का कहना है कि वह ₹30 भाड़ा देने को अब भी तैयार हैं। खनन व्यवसाईयो को मान लेना चाहिए, क्योंकि वह सारी परिस्थिति से वाफिक है। उन्होंने कहा कि स्टोन क्रेशर संचालक अत्यंत खराब परिस्थितियों में यह समझौता करने को तैयार हुए हैं। परंतु खनन व्यवसाई अपनी जिद में पड़े हुए हैं।
उधर ग्राम प्रधान रमेश जोशी और लालकुआं गेट के अध्यक्ष जीवन कबडवाल का कहना है कि खनन व्यवसाई अपनी मांग छोड़कर 33 रुपये में फैसला करने को तैयार हो गए। परंतु स्टोन क्रेशर संचालकों ने बात नहीं मानी। क्योंकि उन्हें समतलीकरण के नाम पर बहुत ही कम रॉयल्टी में मोटा मुनाफा हो रहा है। उन्होंने कहा कि यदि उनकी मांगे पूरी नहीं हुई तो इसके बाद आंदोलन उग्र रूप धारण कर लेगा।