
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में आज हुई मतगणना के बाद जो स्थिति सामने बन रही है, उससे स्पष्ट होता है कि बिहार की विधानसभा चुनाव में जनता ने एक मजबूत संदेश दिया है। जदयू-भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए महागठबंधन को बड़े अंतर से मात देती दिख रही है। शुरुआती दौर में ही एनडीए ने आकड़ों में स्पष्ट बढ़त बना ली है। इससे विपक्षी गठबंधन की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है। 01 बजे तक के रुझानों में एनडीए 198 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। वहीं, राजद की अगुवाई में महागठबंधन के प्रत्याशी केवल 39 सीटों पर ही आगे चल रहे हैं। अन्य उम्मीदवार तीन सीटों पर आगे हैं। बिहार चुनाव नतीजों के रुझानों में सबसे अधिक चौंकाया है जनसुराज ने। प्रशांत किशोर की पार्टी के उम्मीदवार किसी भी सीट पर बढ़त नहीं बना सके हैं।
विपक्ष की हार का सबसे बड़ा कारण
महागठबंधन मुस्लिम बहुल सीटों पर तो मजबूत रहा, लेकिन पूरे प्रदेश में यह छवि नुकसानदेह साबित हुई। बीजेपी ने इसे भुनाया और यादव वोट भी कई जगहों पर आरजेडी से खिसक गए। वक्फ बिल पर तेजस्वी के बयान ने भी विवाद बढ़ाया। दूसरी ओर एनडीए ने पूरे चुनाव के दौरान लालूराज की याद दिलाकर जंगलराज को निशाना बनाया। आरजेडी उम्मीदवारों के मंच से दबंगई के अंदाज में ‘कट्टे वाला’ चुनाव प्रचार भी लोगों को पसंद नहीं आया। चुनाव प्रचार के आखिरी दिन राजद उम्मीदवारों के मंच से तेजस्वी राज आने पर कट्टा लहराने के दावे किए गए। इससे जनता को जंगलराज का दौर फिर याद आ गया। नतीजा जो वोट पक्ष में पड़ते वह भी एनडीए के पक्ष में चला गया।





