हल्द्वानी। यहां काठगोदाम थाना क्षेत्र की निवासी करोड़पति महिला पूनम को मृत्यु के बाद अपना वारिश भी नहीं मिल सका, जिसके बाद उसका पुलिस द्वारा ईसाई रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया गया। मृतका के शव पर दो पक्षों द्वारा दावा किया जा रहा था, जिसके चलते 4 दिन तक उसका अंतिम संस्कार नहीं किया जा सका, और शव मोर्चरी में ही पड़ा रहा, अंततः कोई भी पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि मृतका पूनम इस पक्ष की सगी संबंधी थी।
मृतका पूनम के पड़ोसियों एवं केयरटेकर का कहना है कि पूनम 2 साल तक कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित रही, इस दौरान कोई भी उसे पूछने नहीं आया, ना ही पूनम ने अपने किसी रिश्तेदार के संबंध में बताया था, जैसे ही उसकी मौत हुई दो पक्षों ने करोड़ों रुपए की संपत्ति को लेकर उसके शव पर दावेदारी जता दी। महिला के जीते जी उसको देखने के लिए कोई नहीं आया, लेकिन उसकी मौत के बाद उसके कई वारिस पैदा हो गए, लेकिन कोई भी उसके वारिस होने का दावा साबित नहीं कर पाया। ऐसे में जिला प्रशासन ने महिला के संपत्ति को सीज कर क्रिश्चियन धर्म रीति रिवाज के अनुसार उसका अंतिम संस्कार कराया है।
यह मामला काठगोदाम की पूनम का हैं, पूनम के शव का हक न उसके कथित पुत्र सन्नी को मिला, न ही खुद को पति बताने वाले डेनियल को ही मिल सका।
नैनीताल रोड काठगोदाम प्रेम कुटीर निवासी 59 वर्षीय पूनम अलका सिंह पुत्री प्रवीण चंद्र सिंह 18 बीघा जमीन की मालकिन थीं। 1990 में उन्होंने सिख युवक से शादी की, जिससे शादी की उसकी पहले से एक शादी थी। पहली पत्नी से एक बेटा भी था। तीन माह बाद ही उनके पति की हत्या कर दी गई। इसके बाद पूनम अलका ने राजू नाम के शख्स से दूसरी शादी कर ली। वह वर्षों से पंजाब में कार्यरत है।
अलका अपनी केयरटेकर पदमा देवी के साथ हल्द्वानी में रहती थीं। पदमा ही उनकी देखभाल करती थी, वह पिछले 2 सालों से कैंसर से पीड़ित थी, जिसके बाद 8 नवंबर को उसकी मृत्यु हो गई, मृत्यु के बाद पूनम को मां बताने वाले सनी के अलावा पति बताने वाला राजू उर्फ डेनियल सहित कई लोगों ने पूनम अलका को अपना बताते हुए उसके अंतिम संस्कार करने सहित करोड़ों रुपए की संपत्ति को लेकर 4 दिन तक विवाद किया।
लेकिन पूनम अलका का कोई भी वारिस होने का सिटी मजिस्ट्रेट के सामने दावा साबित नहीं कर पाया।
इसलिए पूनम के शव का अंतिम संस्कार अब पुलिस की निगरानी में ईसाई धर्म के रीति रिवाजों के साथ किया गया, पादरी की मौजूदगी में पूनम के शव को दफनाया गया। काठगोदाम नैनीताल रोड निवासी पूनम की बीते आठ नवंबर को मौत हो गई थी। वह कैंसर से पीड़ित थी।
उनकी मौत के बाद शव पर दो लोगों ने दावा ठोंका। जिसके बाद से शव पोस्टमार्टम हाउस में ही रखा गया था। शव पर पहला दावा खुद को पूनम का पति बताने वाले राजू डेनियल और बेटा बताने वाले सन्नी ने दावा ठोंका। शनिवार को सिटी मजिस्ट्रेट के समक्ष दोनों साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाए। खुद को राजू डेनियल बताने वाले का नाम आधार कार्ड में डेनियल युनुस मसीह था। जिसके चलते सिटी मजिस्ट्रेट ने दोनों के दावे खारिज कर दिए।
मामले में पादरी की गवाही भी हुई और पादरी ने बताया कि पूनम ने चर्च में सदस्यता ली थी। जिस पर यह माना गया गया कि पूनम ने ईसाई धर्म अपना लिया था। इस पर सिटी मजिस्ट्रेट ने काठगोदाम पुलिस को ईसाई धर्म के अनुरूप अंतिम संस्कार कराने के निर्देश दिए, साथ ही यह भी कहा की जब तक पूनम का असली वारिस नहीं मिलता, तब तक पूनम का घर और घर में मौजूद दो असलहे व अन्य सामान पुलिस की निगरानी में होंगे।
इसके अलावा बैंक मैनेजर को आदेश दिए गए हैं कि वारिसान मिलने तक बैंक खाते सीज कर दिए जाएं। इसके अलावा पूनम अलका के 18 बीघा जमीन को भी राजस्व विभाग को निगरानी में दिया गया है, जिससे कि जमीन पर कोई कब्जा ना कर सके। यह मामला पिछले 4 दिनों से क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।
वारिसाना हक साबित न होने पर पूनम की संपत्ति को काठगोदाम पुलिस के सुपुर्द कर दिया है। पूनम के घर में रखे असलहे काठगोदाम पुलिस ने जब्त कर घर में ताला डाल दिया है।
बैंक और डाकघर खातों व बीमा पॉलिसियों को भी फ्रीज कर दिया गया है। कोर्ट में जो भी व्यक्ति अपना वारिसाना हक साबित कर देगा। संपत्ति और बैंक-बीमा राशि की सुपुर्दगी कोर्ट के आदेश पर उसे ही की जाएगी। -ऋचा सिंह, सिटी मजिस्ट्रेट, हल्द्वानी।