उत्तराखण्ड

सातु आठों पर्व के पहले दिन लालकुआं में महिलाओं ने की मां गौरा महेश की पूजा अर्चना…… पढ़ें इस पर्व का पौराणिक महत्व पर विशेष

लालकुआं। सातु आठों पर्व के पहले दिन भारी संख्या में मातृशक्ति ने गौरा महेश की मूर्ति बनाकर पूजा अर्चना करने के साथ-साथ उनका गुणगान किया।

देवभूमि उत्तराखंड अपने विशेष लोकपर्वों के लिए प्रसिद्ध है। इन्ही लोक पर्वों में से सातो आठो लोक पर्व भगवान शिव पार्वती के साथ मानवीय रिश्ते बनाकर, उनकी पूजा अर्चना और उनके साथ आनंद मनाने का त्यौहार है। सातू आठू त्यौहार की शुरुआत गत 16 अगस्त को भाद्रपद की पंचमी जिसे (बिरूड़ पंचमी भी कहा जाता है) से शुरू हुआ जिसमें आज सातों की पूजा अर्चना की गयी, गुरुवार की प्रात से ही वार्ड नंबर 6 स्थित सभासद हेमंत पांडे के निवास में इस पर्व पर विशेष अनुष्ठान किए गए, जिसमें प्रातः दुर्गम स्थलों से पवित्र घास लाकर मातृशक्ति द्वारा गौरा महेश की मूर्तियां बनाकर उनकी पूजा अर्चना की गई तथा पूरे दिन गौरा महेश के लोक गीत गाए गए साथ ही भजन कीर्तन ओं का दौर पूरे दिन चलता रहा। कार्यक्रम की आयोजक समाजसेवी मुन्नी पांडे ने बताया कि सातू आठू पर्व में महादेव शिव को भिनज्यू (जीजाजी ) और माँ गौरी को दीदी के रूप में पूजने की परम्परा है। सातो आठो का अर्थ है सप्तमी और अष्टमी का त्यौहार। भगवान शिव को और माँ पार्वती को अपने साथ दीदी और जीजा के रिश्ते में बांध कर यह त्यौहार मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि जब दीदी गवरा (पार्वती) जीजा मैशर (महेश्वर यानि महादेव ) से नाराज होकर अपने मायके आ जाती है, तब महादेव उनको वापस ले जाने ससुराल आते है। इस दौरान गवरा की विधिवत विदाई, और भगवान शिव की सेवा के विस्तृत वृतांत को लेकर ही सातों आठों पर्व मनाया जाता है।
शांति म्यान ने बताया कि उत्तराखंड की संस्कृति और परम्परा, अपनी विशेष रस्मो और त्योहारों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। उत्तराखंड अपने विविध त्योहारों से जनमानस को नई नई सीख देता है। उन्होंने बताया कि यहां के त्यौहार प्रकृति को समर्पित और लोक कल्याण कारी तथा आनंद और हर्सोलास से ओतप्रोत होते हैं। प्रस्तुत त्यौहार सात आठो भगवान् को अपने मानवीय रिश्तों में बांध कर भक्ति के चरमसीमा का प्रदर्शन करता है। और बिरुड़ के रूप में पौष्टिक भोजन का सेवन इस त्यौहार को स्वास्थ्य और फसलों को समर्पित त्यौहार हैं। इस अवसर पर नीमा पांडे उमा मेर, गीता भट्ट, खष्टी तिवारी, शोभा जोशी, दीपा पांडे, सरस्वती देवी, जया जोशी, दीप्ति पांडे और आनंदी पांडे सहित भारी संख्या में महिलाएं मौजूद थी।
फोटो परिचय- सातों आठों पर्व पर लालकुआं में पूजा-अर्चना करती मातृशक्ति

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