हल्द्वानी। हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देने वाली गौला और नंधौर नदी में खनन रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है। सात नवंबर को गौला के 12 और नंधौर के छह गेटों में खनन शुरू हो गया था। दोनों नदियों में करीब 10 हजार गाड़ियां हैं, लेकिन अब तक गौला में सिर्फ 66 गाड़ियां तीन गेटों में खनन के लिए पहुंची हैं। वहीं नंधौर में कोई भी गाड़ी खनन नहीं कर रही है। खनन कारोबारियों की इस नीरसता की वजह वाहनों की फिटनेस फीस और उपखनिज के वजन की क्षमता को लेकर है।
दरअसल, गौला और नंधौर नदी बरेली रोड, गौलापार, चोरगलिया समेत अन्य जगहों पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 50 हजार लोगों को रोजगार देती है। शनिवार को गौला के आंवला चौकी गेट से चार और
गौरापड़ाव गेट से 21 गाड़ियों ने खनन किया। खनन संघर्ष समिति के अध्यक्ष रमेश जोशी ने बताया कि गौला नदी में ज्यादातर गाड़ियां 15 साल पुरानी हैं। इनकी फिटनेस फीस 18500 रुपये कर दी गई है, जबकि खनन कारोबार कुछ ही महीने के लिए होता है। पहले तक 1850 रुपये फिटनेस फीस होती थी। ऐसे में वाहन स्वामियों पर भारी बोझ पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि जब तक फिटनेस फीस कम नहीं की जाती है, हम खनन नहीं करेंगे। वहीं डंपर एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज मठपाल ने बताया कि हमने फिटनेस फीस कम करने के लिए शासन औ प्रशासन से मांग की है। उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश में भी इतनी फीस नहीं ली जाती है। पिछले साल के बराबर फिटनेस फीस ली जाए। पूर्व की तरह उपखनिज निकासी की क्षमता 108 क्विंटल करने की मांग की, जो अब रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट में तय वाहन के वजन और उपखनिज के वजन को मिलाकर अधिकतम 162 क्विंटल कर दी गई है। ऐसे में गाड़ियां कम उपखनिज की निकासी कर पा रही हैं।
उधर कार्यदायी संस्था ओमगुरु ट्रेडर्स ने बताया कि सीसीटीवी कैमरे, आरएफआइडी, इंटरनेट कनेक्शन दुरुस्त कर दिए गए हैं। धर्मकांटे तैयार हैं। वहीं शुक्रवार को खनन को लेकर अपर जिला अधिकारी शैलेंद्र नेगी ने भी निकासी गेटों का निरीक्षण किया था। गौला और नंधौर में सभी निकासी गेट खनन के लिए तैयार हैं।
इधर वन विकास निगम के डीएलएम- धीरेश बिष्ट का कहना है कि दोनों नदियां खनन के लिए खुल गई हैं। मोटर मालिक वाहनों की फिटनेस करवाकर रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट में तय वजन के आधार पर खनन शुरू कर सकते हैं।





