उत्तराखण्ड

उत्तराखंड में जंगलों के बीच से निकल रहे रेलवे ट्रैक हाथियों के लिए बने काल, देखिए अब तक कितने हाथियों की हो चुकी है मौत

लालकुआं। उत्तराखंड में वन क्षेत्रों से गुजरने वाले रेलवे ट्रैक हाथियों के लिए काल बनते जा रहे हैं, स्थिति यह है कि उत्तराखंड राज्य बनने के बाद पिछले 20 वर्षों में अब तक राज्य में 25 हाथियों की मौत ट्रेन की चपेट में आने से हो चुकी है, कुमाऊं मंडल विशेष तौर पर नैनीताल और उधम सिंह नगर जनपदों में एक के बाद एक हो रही हाथियों की मौत से सवाल खड़े होने लगे हैं,
उत्तराखंड में रेलगाड़ी के वन्य क्षेत्र से गुजरने को लेकर समय-समय पर सवाल खड़े होते रहते हैं. लेकिन ऐसी घटनाओं में वन्यजीवों की मौत के बाद आवाजें और भी ज्यादा बुलंद होने लगती हैं, खास तौर पर हाथियों को लेकर रेलवे ट्रैक पर परेशानियां काफी ज्यादा रही हैं, इससे पूर्व गत वर्ष 30 अगस्त की सुबह रेलगाड़ी आगरा फोर्ट एक्सप्रेस (05055 अप) लालकुआं स्टेशन से सिडकुल हाल्ट से आगे रेलवे माइलस्टोन नंबर 13/2 के पास ट्रैक से गुजर रहे हाथियों के झुंड से टकरा गई। मौके पर मादा हथिनी व उसके बच्चे की मौत हो गई। तथा 15 दिन बाद तीसरे हाथी का शव टांडा रेंज के जंगल में मिला था इस दुर्घटना में कुल 3 हाथियों की मौत हुई थी। इससे 4 वर्ष पूर्व लालकुआं नगला रेलवे स्टेशन के बीच सीमैप के सामने रेलगाड़ी की चपेट में आकर टस्कर हाथी की मौत हो गई थी। इसके अलावा लालकुआं और हल्दी रोड रेलवे स्टेशन के बीच पिछले 10 सालों में 6 हाथियों की ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गई। साथ ही पूरे उत्तराखंड में अब तक 25 हाथियों की रेलगाड़ी की चपेट में आकर मौत होने से वन महकमे में हड़कंप मचा हुआ है। विभाग ने इस दिशा में कोई भी ठोस कदम नहीं उठाए हैं। जिसके चलते दिन पर दिन इस तरह की घटनाओं की बढ़ोतरी हो रही है। आज हुई मादा हाथी की मौत के बाद तराई पूर्वी वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी संदीप कुमार का कहना है कि अब वन विभाग हाथियों की बार-बार रेलगाड़ी की टक्कर से मौत होने के मामलों को गंभीरता से लेते हुए त्वरित कार्रवाई अमल में लाएगा। साथ ही रेलवे के अधिकारियों से वार्ता करके ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ठोस उपाय किए जाएंगे।

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