उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में वोट को लेकर मतदाताओं ने गंभीरता दिखाई। उत्तरकाशी के ब्रहमखाल क्षेत्र में दो पुत्रों ने पिता के अंतिम संस्कार से पहले मतदान कर पुत्रधर्म के साथ ही जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य भी निभाया। प्रशासन ने भी दोनों की सराहना की। डुंडा विकास खंड के बांदू गांव निवासी क्षेत्र के कथावाचक आचार्य बाल गोविंद सेमवाल (92) की रविवार देर शाम मौत हो गई थी।
बाल गोविंद सेमवाल कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। बाल गोविंद परिवार के साथ ब्रहमखाल में रहते थे। मृत्यु के बाद बालगोविंद के पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव बांदू ले जाया गया। सोमवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाना था। उनके दोनों पुत्रों राकेश मोहन सेमवाल व बिरेश मोहन सेमवाल ने सोमवार को पहले मतदान करने का निर्णय लिया। साथ ही गांव के लोगों को भी मतदान करने के लिए कहा।
दोनों पुत्रों सहित गांव के अन्य पुरुषों ने भी 12 बजे तक मतदान किया और इसके बाद आचार्य बालगोविंद के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए पैत्रिक घाट देवीधार ले जाया गया। बिरेश मोहन सेमवाल ने कहा कि पिता का अंतिम संस्कार करना पुत्र धर्म है, तो मतदान करना राष्ट्रधर्म है। वोट देना देश के हर नागरिक का कर्तव्य है।