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बैंक कर्मियों के हड़ताल पर जाने से उत्तराखंड में सात करोड़ का लेनदेन हुआ प्रभावित, आज भी बैंक रहेंगे बंद

देश के सरकारी बैंकों के प्रस्तावित निजीकरण के खिलाफ नौ बैंक संगठनों के महासंघ युनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) के आह्वान पर गुरुवार को राष्ट्रीयकृत बैंक कर्मचारी हड़ताल पर रहे। दो दिवसीय हड़ताल के पहले दिन अनुमानित साढ़े सात सौ करोड़ का अनुमानित लेनदेन प्रभावित हुआ। आज भी बैंक कर्मी हड़ताल पर हैं। गुरुवार को एस्लेहाल स्थित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के सामने हड़ताल कर बैंककर्मियों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।

बैंकों का निजीकरण करने की सरकार की मंशा का विरोध
बैंककर्मियों ने कहा कि शीतकालीन सत्र में बैंकिंग अधिनियमों में परिवर्तन कर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण करने की सरकार की मंशा का हम सख्त विरोध करते हैं। लंबे समय से आंदोलन करने के बाद भी सरकार की ओर से कोई सकारात्मक फैसला न लेने के कारण उन्होंने दो दिवसीय हड़ताल करने का फैसला लिया है। यूएफबीयू के संयोजक समदर्शी बड़थ्वाल ने कहा कि बैंकों का निजीकरण कर सरकार कॉरपोरेट पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाना चाहती है।

सरकारी बैंक आम नागरिकों को सस्ती बैंकिंग सेवा उपलब्ध कराते हैं, लेकिन इन बैंकों का निजीकरण होने से जहां एक ओर लोगों को महंगी बैंकिंग सेवाएं मिलेंगी। उसके साथ ही इसका रोजगार पर भी बुरा असर पड़ेगा। बताया कि दो दिवसीय हड़ताल से अनुमानित 15 सौ करोड़ का लेनदेन प्रभावित होगा।

उधर, उत्तराखंड ग्रामीण बैंक अधिकारी संगठन के महासचिव भुवनेंद्र बिष्ट ने बताया कि बैंक के दो दिवसीय हड़ताल का संगठन नैतिक समर्थन करता है। हालांकि बैंकों में कामकाज जारी रहेगा। सरकार अपने विनिवेश कार्यक्रम के तहत यह निजीकरण करने जा रही है।

प्रदर्शन करने वालों में एसएस रजवार, आरके गैरोला, अनिल जैन, वीके जोशी, विनय शर्मा, सीके जोशी, आरपी शर्मा, ओपी मौर्य, सुधीर रावत, कमल तोमर, हसन अब्बास, मयंक अग्रवाल, दीपशिखा लालेरिया, आकाश उनियाल, प्रदीप डबराल, विजय गुप्ता, आईएस रावत, अखिलेश नवानी, कॉम ओझा, प्रदीप तोमर, आशा शर्मा, अंकित यादव, मनोज ध्यानी, मनीष सेठी, के आर बेलवाल, रजत पांडेय आदि थे।

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