लालकुआं। अष्टादशभुजा श्री महालक्ष्मी मंदिर बेरीपड़ाव में कई धार्मिक अनुष्ठान जिसमें हजारों श्रद्धालु एवं संत महात्मा भाग ले रहे हैं।
उक्त जानकारी देते हुए मंदिर के व्यवस्थापक एवं महामंडलेश्वर स्वामी सोमेश्वर यती महाराज ने कहा कि स्वामी बाल कृष्ण येती महाराज की नवमी पुण्यतिथि पर बुधवार की प्रातः पूजा अर्चना एवं हवन यज्ञ के बाद सायं काल 4:30 बजे से 6:30 बजे तक संगीतमय सुन्दरकाण्ड का पाठ एवं प्रसाद वितरण का आयोजन किया गया है,
विदित रहे कि गत 27 जुलाई 2013 को वाराणसी के जागेश्वर आश्रम में स्वामी बालकृष्ण यदि महाराज ब्रह्मलीन हो गए थे।
संक्षिप्त जीवन परिचय
महामंडलेश्वर पवाहारी स्वामी बालकृष्ण यति जी महाराज उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जनपद में सात सौ वर्ष पुराने सिद्ध महात्माओ की तपस्थली में स्थित हथियाराम मठ के 25वे पीठाधिपति परमाचार्य रहें।
देवभूमि उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के जोशीगाँव में माघकृष्ण एकादशी सन् 1915 को जन्मे यति जी महाराज की आरंभिक शिक्षा बागेश्वर उसके बाद अवन्तिका, उज्जैन, मिर्जापुर एवं वाराणसी मे हुई।
स्वामी बालकृष्ण जी महाराज को संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी से वेदांताचार्य की उपाधि से विभूषित किया गया था, उन्होंने ब्रम्हचर्या अवस्था से ही संन्यास लेकर नर्मदा तट पर एवं हिमालय में घोर तपस्या की। उनके गुरु स्वामी विश्वनाथ यति जी महाराज ने 2दिसम्बर 1954को सिद्धपीठ श्री हथियाराम मठ में गद्दी देकर अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया। 28 वर्षो तक उन्होंने फलाहार लेकर साधना तपस्या की, महाराज द्वारा धर्म प्रचार के लिए अनेक शिक्षण संस्थाएँ व आश्रम चलाएं, जिनमें अष्टादशभुजा महालक्ष्मी मंदिर बेरीपड़ाव, श्री शंकर आश्रम ज्वालापुर रोड़ हरिद्वार, महंत पवाहारी श्री बालकृष्ण यति स्नातकोत्तर कन्या महाविद्यालय हथियाराम गाजीपुर -उत्तरप्रदेश, सहित बलिया मऊ एवं देश विदेश में अन्य कई मठ और मंदिर स्थित है।
ब्रह्मलीन पवाहारी महामंडलेश्वर बालकृष्ण यति जी महाराज सनातन धर्म एवं संस्कृति के ध्वजवाहक रहे, उन्होंने अपनी जीवन यात्रा में तमाम मठ मंदिरों की स्थापना करने के अलावा संस्कारमय शिक्षा प्रदान करने वाले अनेक विद्यालय महाविद्यालयों की भी स्थापना की, भूत भविष्य और वर्तमान की परिधि से रहित तुरीय अवस्था को प्राप्त गुनातीत बालकृष्ण यति महाराज सच्चे मायनों में युग संत थे।
फाइल फोटो:- ब्रह्मलीन स्वामी बालकृष्ण यति महाराज
फाइल फोटो -अष्टादश भुजा महालक्ष्मी मंदिर