नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कुछ महिलाओं द्वारा दुष्कर्म के नाम पर कानून का दुरुपयोग करने के मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि अक्सर देखने में आया है कि पहले महिलाएं अपनी मर्जी से पुरुष मित्र के साथ होटलों से लेकर कई जगह जाती हैं, फिर मतभेद पैदा होने पर इस कानून का दुरुपयोग करती हैं। न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ ने बीती 7 जुलाई को एक मामले में सुनवाई करते हुए ये बात कही।
एकलपीठ ने टिप्पणी करते हुए ये भी कहा कि जो इस तरह के गलत और झूठे आरोप लगाती हैं, ऐसी महिलाओं को जेल भेज देना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि शारीरिक संबंध केस दर्ज कराने से 15 वर्ष पूर्व से बने आ रहे हैं और एफआईआर अब की जा रही है, आखिर क्यों ? न्यायालय ने कहा कि ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं जिसमें साफ नजर आ रहा है कि महिलाएं इस कानून का दुरुपयोग कर रहीं हैं।
फिर दूसरे मामलों में न्यायालय ने कहा कि कई महिलाएं यह जानते हुए कि उनका पुरुष मित्र पहले से शादीशुदा है, इसके बाद भी उसके साथ संबंध बनाती हैं और बाद में शादी का झांसा देकर दुष्कर्म के नाम पर केस दर्ज कराती हैं। एकलपीठ ने कहा कि जो युवती ऐसा कर रही है वह बालिग और समझदार है वो कोई बच्ची नहीं है जो पुरुष के झांसे में आ जाएं ।
याचिकाकर्ता ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जब किसी बालिग के साथ सहमति से शारीरिक संबंध बनाए जाते हैं तो वह बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता है।
दुष्कर्म के नाम पर कानून का दुरुपयोग करने वाली महिलाओं पर नैनीताल हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी…………… कहा इस तरह की युवतियां जेल भेजने योग्य………….
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