उच्च न्यायालय उत्तराखंड ने हाल ही में उत्तराखंड पुलिस को प्रत्यर्पित गैंगस्टर प्रकाश चंद्र पांडे उर्फ बंटी पांडे को लेकर उच्च न्यायालय उत्तराखंड ने केंद्रीय जेल, सितारगंज से सुनवाई की तारीखों पर विभिन्न न्यायालयों में ले जाते समय उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिये हैं। न्यायालय ने कहा, “याचिकाकर्ता की उचित आशंका पर कि उसकी जान जोखिम में हो सकती है, मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए रिट याचिका की अनुमति दी जाती है। याचिकाकर्ता को उचित अनुरक्षण प्रदान करके याचिकाकर्ता की सेंट्रल जेल, सितारगंज, उत्तराखंड से अलग-अलग अदालतों में, जिसमें उसके मामले सुनवाई की अलग-अलग तारीखों आदि पर लंबित हैं और वापस सेंट्रल जेल, सितारगंज में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिवादियों को परमादेश का रिट जारी किया जाता है।”
प्रकाश पाण्डे की तरफ से एडवोकेट अभिजय नेगी और एडवोकेट प्रदीप उप्रेती ने पक्ष रखा तो सरकार के तरफ से सब एडवोकेट जनरल जे एस विर्क ने पक्ष रखा।
जस्टिस संजय कुमार मिश्रा की एकल पीठ ने जेल अधिकारियों को उसे इलाज के लिए डॉ सुशीला तिवारी सरकारी अस्पताल हल्द्वानी में पेश करने का भी निर्देश दिये। अदालत ने कहा कि इलाज का खर्च या तो खुद याचिकाकर्ता या उसके रिश्तेदार वहन करेंगे। छोटा राजन गिरोह के पूर्व सदस्य रहे पांडे को 2010 में वियतनाम से भारत प्रत्यर्पित किया गया था। उसे विभिन्न जब न्यायालयों में पेश किया गया और डॉ सुशीला तिवारी सरकारी अस्पताल में इलाज कराया गया तो उसने पुलिस सुरक्षा की मांग करते हुए याचिका दायर कर न्यायालय मैं गुहार लगाई।
न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता कथित रूप से संगठित अपराध सिंडिकेट से संबंधित है और उस पर महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्य में मुकदमा चलाया गया। कोर्ट ने कहा, “वर्तमान में वह सेंट्रल जेल, सितारगंज में बंद है और पुलिस एस्कॉर्ट पार्टी को उत्तराखंड पुलिस द्वारा अलग-अलग अदालतों में ले जाने और सेंट्रल जेल, सितारगंज वापस लाने के लिए प्रतिनियुक्त किया गया।” रिकॉर्ड को देखने के बाद अदालत ने आगे कहा कि वह कोरोनरी बीमारी से पीड़ित हैं और डॉ सुशीला तिवारी सरकारी अस्पताल, हल्द्वानी के डॉक्टरों द्वारा नियमित रूप से उसका इलाज किया जा रहा है। इसने उत्तराखंड सरकार की अधिसूचना पर भी ध्यान दिया, जिसमें कैदियों के इलाज के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।
न्यायालय ने कहा, “रिकॉर्ड से यह स्पष्ट है कि उत्तराखंड सरकार ने राज्य की जेलों में बंद कैदियों और एड्स, कोरोनरी रोग आदि जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित दोषियों के लिए प्रावधान किया है कि यदि उन्हें मेडिकल उपचार की आवश्यकता होती है तो उन्हें उपचार प्रदान किया जाएगा, लेकिन कैदी खुद इलाज का खर्च वहन करेगा।”
26 सितंबर को हुई सुनवाई के बाद इसका आदेश उत्तराखंड उच्च न्यायालय की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई है।