लालकुआं। डौली रेंज के वन कर्मियों को शान्तीपुरी नंबर 3 निवासी गोविंद सिंह कार्की के घर पर एक लाल रंग के साँप देखे जाने की सूचना मिली, सांप रेस्क्यू विशेषज्ञ सोनू कार्की एवम् स्थानीय वन कर्मियों को मौके पर भेजा गया। वन कर्मियों द्वारा सांप की खोजबीन हेतु अभियान प्रारंभ किया गया जिसे सकुशल रेस्क्यू कर सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया। सांप लाल रंग का होने के कारण लोगों में कोतुहल का विषय बना रहा। साँप को देखने के लिए काफी भीड़ मौके पर जमा हो गई। डौली रेंज के रेंजर अनिल जोशी से जानकारी लेने पर उनके द्वारा बताया गया कि रेस्क्यू किया गया साँप एक दुर्लभ रेड कोरल खुकरी साँप है। यह केवल तीसरी बार है जब सांप को उत्तराखंड में देखा गया. इससे पूर्व 2015 में खटीमा क्षेत्र में, 2020 में नैनीताल ज़िले तथा अभी ऊधम सिंह नगर ज़िले के शांतिपुरी क्षेत्र में मिला है।अति दुर्लभ श्रेणी में आने वाला यह एक विष रहित होता है तथा छोटे जीव जंतु, चूहे, मेढ़क इसका भोजन है,
प्रभागीय वनाधिकारी संदीप कुमार ने बताया कि इस दुर्लभ प्रजाति के साँप के आंकड़े संधारित किए जा रहे है, जिस पर भविश्य में रिसर्च की जाएगी। जब सांप और अन्य सरीसृपों की बात आती है तो तराई का पूरा लैंडस्केप इनके लिए अनुकूल है। यह नमूना अत्यंत दुर्लभ है, इनके बेहतर संरक्षण उद्देश्यों के लिए आवास की उपयुक्तता और सामुदायिक भागीदारी पर वन विभाग काम कर रहा है। वनाधिकारियों की एक रिपोर्ट के अनुसार, रेड कोरल कुकरी सांप को पहली बार 1936 में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी क्षेत्र में देखा गया था. तब इसे अपना वैज्ञानिक नाम ओलीगोडन खेरिनसिस भी मिला. इसके कॉमन नाम में ‘कुकरी’ शब्द गोरखाओं के घुमावदार चाकू, खुखरी को दर्शाता है. इस शब्द का उपयोग इस सांप के घुमावदार, ब्लेड जैसे दांतों के कारण किया जाता है।
फोटो परिचय- खुकरी सांप को रेस्क्यू करते सर्प विशेषज्ञ वन कर्मी