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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: फांसी की सजा पाए तीन लोगों को किया बरी, पढ़ें क्या था मामला…….

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को संपत्ति विवाद में माता-पिता, भाई और तीन अन्य रिश्तेदारों की हत्या में फांसी की सजा पाए तीन दोषियों को बरी कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा है कि अभियोजन पक्ष आरोपियों पर मामले को साबित करने में पूरी तरह से विफल रहा। मामला उतर प्रदेश के बुलंदशहर का है। शीर्ष अदालत ने कहा कि निचली अदालत के साथ-साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा वर्तमान मामले को जिस तरह से निपटाया गया है, उसे देखकर दुख हो रहा है। खासकर जब निचली अदालत ने आरोपी को मौत की सजा सुनाई और हाईकोर्ट ने उसकी पुष्टि की।

जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष बिना किसी संदेह क आरोपियों पर दोष साबित करने में पूरी तरह विफल रहा है। पीठ ने कहा है कि आरोपियों की दोषसिद्धि और मौत की सजा कानून में पूरी तरह से टिकाऊ नहीं है। निचली अदालत ने आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी और हाईकोर्ट ने सजा की पुष्टि की थी। एक आरोपी की पत्नी को भी निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी लेकिन हाईकोर्ट ने उसकी दोषसिद्धि को दरकिनार कर दिया था।

शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में निचली अदालत के निष्कर्षों पर आश्चर्य व्यक्त किया। एक पैराग्राफ का जिक्त्रस् करते हुए पीठ ने कहा, एक कहानी के तौर में यह पढ़ने में तो दिलचस्प लगती है लेकिन सभी टिप्पणियां अनुमानों पर है। कोई सबूत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट से अपेक्षा की जाती है कि वे आरोपी को मौत तक फांसी देने का निर्देश देते समय गहनता से परीक्षण करें और सावधानी बरतें।

मामले के अनुसार मोमिन खान पर संपत्ति विवाद के बाद अपने माता-पिता, भाई और तीन अन्य रिश्तेदारों की हत्या करने का आरोप लगाया गया था। इस मामले में मोमिन खान का चचेरा भाई जयकम खान और जयकम का बेटा साजिद भी आरोपी थे। निचली अदालत ने 11 जनवरी, 2016 को आरोपियों को मौत की सजा सुनाई थी। 18 मई, 2018 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले की पुष्टि की थी।

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