उत्तराखण्ड

क्रांतिकारी बैठक बिंदुखत्ता राजस्व गांव की लड़ाई लड़ रही समिति के कार्यों एवं प्रक्रिया को लेकर तरह-तरह की चर्चा कर रहे लोगों के खिलाफ अगले सप्ताह से उठाया जाएगा यह महत्वपूर्ण कदम……..….

लालकुआं। वन अधिकार समिति बिन्दुखत्ता की बैठक में राजस्व गांव की प्रक्रिया का विरोध कर रहे लोगों को कड़ाई से जवाब देने के उद्देश्य से समिति प्रत्येक गांव में नुक्कड़ सभाएं एवं शिविर लगाकर जन जागरूकता फैलाने का निर्णय लिया गया।


यहां वन अधिकार समिति की बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें वक्ताओं ने कहा कि बिन्दुखत्ता राजस्व ग्राम की प्रक्रिया को बाधित करने के उददेश्य से कुछ लोगों द्वारा फैलाई जा रही अफवाहो को रोकने के उददेश्य से वन अधिकार समिति बिन्दुखत्ता की बैठक अगले रविवार को आयोजित की जायेगी, जिसमें अलग-अलग टीमें बनाकर नुक्कड सभाएं कर लोगों को एफआरए के सम्बन्ध में निम्न बिन्दुओं पर जागरूक किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि वन अधिकार समिति बिन्दुखत्ता द्वारा एफआरए की धारा 3-1 (ज) के अन्तर्गत राजस्व ग्राम की प्रक्रिया अपनायी जा रही है ना कि वन ग्राम की। इस सम्बन्ध में विस्तृत दिशा निर्देश जनजाति मन्त्रालय भारत सरकार द्वारा राज्यों के सचिव को प्रेषित पत्र दिनॉक 08 नवम्बर 2013 में भी स्पष्ट हैं।
वक्ताओं ने कहा कि एफआरए के प्रावधानों के अनुसार राज्य सरकार को राजस्व ग्राम बनाने हेतु वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार से राजस्व ग्राम अथवा निर्वनीकरण के अनुमोदन की कोई आवश्यकता नहीं है जो भी प्रक्रिया होगी वो वन अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत ही होनी है। एफआरए के तहत वन अधिकारों की मान्यता के लिए वन का अनारक्षण या गैर वन भूमि के रूप में वर्गीकरण सम्बन्धित परिवर्तन की आवश्यकता नहीं है। वक्ताओं ने कहा कि एफआरए की प्रक्रिया में 75 वर्षो से एक ही स्थान पर वन भूमि पर कब्जे की कोई बाध्यता नहीं है, जिसे जनजाति मन्त्रालय भारत सरकार द्वारा राज्यों के सचिवों को प्रेषित पत्र दिनॉक 08 नवम्बर 2013 में स्पष्ट भी किया गया है।
उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय विधायक डॉ मोहन बिष्ट तथा वन अधिकार समिति बिन्दुखत्ता द्वारा पूरे अध्ययन के बाद ही यह कार्यवाही प्रारम्भ की गयी है, जिस कारण दावा निरस्त होने की कोई सम्भावना नहीं है।
तथा वन अधिकार समिति द्वारा राजस्व ग्राम का प्रस्ताव संयुक्त रूप से प्रेषित किया गया है जिसका फायदा सभी बिन्दुखत्तावासियों को मिलेगा। वक्ताओं ने कहा कि कुछ लोग अफवाह फैला रहे हैं कि इसका फायदा केवल सैकड़ों वर्षो से निवासरत् लोगों को ही मिलेगा जो कि झूठ है । वरिष्ठ पदाधिकारियों ने बताया कि वन अधिकार समिति बिन्दुखत्ता में केवल 15 ही सदस्य चयनित किये गये थे चूकिं बिन्दुखत्ता लगभग 3200 हेक्टेयर भूमि पर बसा 60 से 70 हजार आबादी वाला क्षेत्र है। इसलिए सदस्यों की संख्या 50 तक बढ़ाई जाएगी। बैठक के अंत में निर्णय लिया गया कि अगले रविवार को वन अधिकार समिति बिन्दुखत्ता के द्वारा जागरूकता के उददेश्य से एकदिवसीय वन अधिकार अधिनियम जागरूकता शिविर भी आयोजित कर लोगों को जागरूक किया जायेगा ।
बैठक में मुख्य रूप से समिति के अध्यक्ष अर्जुन नाथ गोस्वामी, सचिव कुंदन सिंह चुफाल, कविराज सिंह धामी, भुवन चंद्र भट्ट, चंचल सिंह कोरंगा, गोविंद सिंह, नंदन सिंह, उमेश भट्ट, हरेंद्र बिष्ट और प्रताप कोश्यारी सहित कई ग्रामीण मौजूद थे।
फोटो परिचय- वन अधिकार समिति बिंदुखत्ता के पदाधिकारी बैठक कर अगली रणनीति तय करते हुए

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