उत्तराखण्ड

वर्ष 2000 के सर्किल रेट के हिसाब से मिलने जा रहा है मालिकाना हक, 1537 परिवारों का सपना होगा पूरा—- पढ़िए पूरी जानकारी

पिछले 5 वर्षों से लालकुआं के लोगों को उनकी जमीनों का मालिकाना हक देने की रुकी हुई कार्रवाई फिर से शुरू करने की पहल की गई है। शहर की डेढ़ सौ साल पुरानी मांग मालिकाना हक को राज्य सरकार द्वारा पूरा करने का ताना-बाना बुन लिया गया है, उक्त जानकारी देते हुए पूर्व दर्जा राज्यमंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता हेमंत द्विवेदी ने कहा कि राज्य सरकार ने नगर के 10 लोगों को मालिकाना हक प्रदान कर दिया गया है। अब अन्य लोग भी आवेदन करके अपनी जमीनों का मालिकाना हक वर्ष 2000 के सर्किल रेट से प्राप्त कर सकते हैं।
यहां आयोजित पत्रकार वार्ता में बोलते हुए हेमंत द्विवेदी ने कहा कि पिछले कई सालों से लालकुआं के लोग मालिकाना हक के लिए परेशान थे, जिसको भाजपा सरकार ने पहल करते हुए प्रथम चरण में जिन लोगों के जमा किए गए कागजात पूर्ण थे ऐसे 10 लोगों को मालिकाना हक प्रदान किया है, जिसमें राजकुमार सेतिया, मंजू भाकुनी, प्रेमा तिवारी, अमरनाथ भाटिया, तसव्वुर हुसैन, कांता प्रसाद, भवानी तिवारी तिवारी, सुभाष खुराना, माधवानंद पनेरु तथा शालिग्राम गुप्ता की फाइल सही पाई गई, जिसके बाद जिला प्रशासन ने राजस्व विभाग के सहयोग से सन 2000 के सर्किल रेट के आधार पर 10 लोगों को मालिकाना हक स्वीकृत करते हुए उन्हें पट्टे जारी कर दिये है, जो जल्द ही एक कार्यक्रम के दौरान लाभार्थियों को वितरित किए जाएंगे।
दौरान लाभार्थियों ने पूर्व दर्जा राज्यमंत्री हेमंत द्विवेदी के साथ मिष्ठान वितरित कर लोगों का मुंह मीठा किया। प्रेस वार्ता में वरिष्ठ भाजपा नेता सर्वदमन चौधरी, विनोद कुमार श्रीवास्तव, राधेश्याम यादव, राजकुमार सेतिया, सभासद धन सिंह बिष्ट, प्रेम नाथ पंडित, राजेंद्र तिवारी, अजय श्रीवास्तव, कमल जोशी और दीपू नयाल सहित अनेक क्षेत्रवासी उपस्थित थे।
विदित रहे कि पूर्व में भाजपा सरकार ने 2004 के सर्किल रेट के हिसाब से मालिकाना हक देने का शासनादेश जारी किया था। परंतु अब उसमें संशोधन करते हुए 2016 में जारी किए गए शासनादेश के आधार पर वर्ष 2000 के सर्किल रेट पर ही मालिकाना हक देने का निर्णय लिया है। जिसका नगर के 1537 परिवारों को लाभ पहुंचेगा। विदित रहे कि लालकुआं नगर की भूमि वर्ष 1927 में डिफॉरेस्ट हुई, 1975 में लालकुआं राजस्व ग्राम बना और 1978 में यहां नगर पंचायत की स्थापना की गई। तब से आज तक लालकुआं के लोगों को उनकी जमीनों का मालिकाना हक नहीं मिल पाया है।

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