लालकुआं। प्रमुख वन संरक्षक उत्तराखंड विनोद सिंघल ने वन विभाग के तमाम वरिष्ठ अधिकारियों के साथ लालकुआं स्थित वन अनुसंधान केंद्र का निरीक्षण करते हुए इसे विश्व की सबसे सर्वश्रेष्ठ औषधीय वाटिका बताते हुए उत्तराखंड के लोगों से इसका लाभ लेने का आह्वान किया।
वन अनुसंधान केंद्र लालकुआं के फाइकस उद्यान, जन स्वास्थ्य वाटिका, फूड फॉरेस्ट कृषि वानिकी के लिए प्रयोग होने वाली महोगनी प्रजाति, मिलिया, दुबिया प्रजाति और चिरौंजी प्रजाति के तमाम पौधों का निरीक्षण करने के साथ-साथ उक्त पौधशाला में लगे तमाम औषधीय पौधों का व्यापक निरीक्षण किया। मुख्य वन संरक्षक अनुसंधान संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि उक्त नर्सरी में क्षेत्र को प्रदूषण से मुक्त रखने वाले पौधे भी लगाए गए हैं, ताकि उक्त क्षेत्र में प्रदूषण का प्रकोप कम से कम हो, उन्होंने विभिन्न प्रकार की तुलसी एवं सुगंधित पौधों का भी तसल्ली पूर्वक निरीक्षण किया।
इस अवसर पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रमुख वन संरक्षक विनोद सिंघल ने कहा कि लालकुआं में स्थित उक्त पौधशाला विश्व की सबसे सर्वश्रेष्ठ औषधीय पौधसाला है जो कि उत्तराखंड की रोल मॉडल होने के साथ-साथ वन विभाग के लिए प्रेरणा स्रोत है। उन्होंने बताया कि उक्त पौधशाला का देश भर के स्कूली बच्चे एवं भावी वनस्पति वैज्ञानिक एवं किसान समय-समय पर निरीक्षण कर व्यापक लाभ उठा रहे हैं। प्रमुख वन संरक्षक ने कहा कि गौलापार में स्थित जू का निर्माण कार्य तकनीकी कारणों से रुका हुआ है, जल्द ही उसे शुरू कराया जाएगा। इस दौरान उन्होंने फाइकस नर्सरी की जमकर सराहना करते हुए इसे विश्व की पहली नर्सरी बताया, इस दौरान उन्होंने यहां किए गए अनुसंधान के कार्यों की जमकर सराहना की। निरीक्षण के दौरान अपर प्रमुख वन संरक्षक अनुसंधान प्रशिक्षण कपिल जोशी, मुख्य वन संरक्षक अनुसंधान संजीव चतुर्वेदी, मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं पीके पात्रों, वन संरक्षक पश्चिमी दीप चंद्र आर्य, प्रभागीय वनाधिकारी तराई केंद्रीय वन प्रभाग वैभव कुमार सिंह, प्रभागीय वनाधिकारी अनुसंधान बलवंत सिंह साही, वन क्षेत्राधिकारी वन अनुसंधान मदन बिष्ट, वन क्षेत्राधिकारी गौला आरपी जोशी सहित कई अधिकारी मौजूद थे।
फोटो परिचय- लालकुआं स्थित वन अनुसंधान केंद्र का निरीक्षण करते प्रमुख वन संरक्षक विनोद सिंघल एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी