उत्तराखण्ड

उत्तराखंड की प्रमुख 11 जेलों में बंद हजारों अपराधी इस बार भी नहीं कर सकेंगे अपने मताधिकार का प्रयोग– देखिए क्या कहता है एक्ट…. और कहां-कहां है कैदी ?

विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव में वैसे तो प्रत्येक व्यक्ति को अपने मताधिकार का प्रयोग करने का अधिकार प्राप्त है, परंतु जनप्रतिनिधि एक्ट के चलते विभिन्न जेलों में बंद अपराधी अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर सकते हैं। उत्तराखंड की अलग-अलग जेलों मेंं करीब साढ़े छह हजार लोग वर्तमान में बंद हैं। इनमें सजायाफ्ता से ज्यादा संख्या अंडर ट्रायल लोगों की हैं। ऐसे लोगों की संख्या पचास प्रतिशत से अधिक है। अंडर ट्रायल यानी जिनका मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है। दोष साबित होने के बाद सजा का एलान होगा, लेकिन जेल की चहारदीवारी ने वोट न देने की सजा पहले ही दे दी है। जनप्रतिनिधित्व एक्ट की वजह से जेल में बंद कोई भी व्यक्ति वोट नहीं दे सकता। उत्तराखंड की अलग-अलग जेलों में पुरुषों के अलावा महिलाओं को भी रखा गया है।

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बच्चे छोटे होने की वजह से कई महिलाओं को इन्हें भी मजबूरी में साथ रखना पड़ता है। अफसरों के मुताबिक किसी भी मामले में दोष सिद्ध होने से पहले तक व्यक्ति जेल के अंदर रहकर चुनाव भी लड़ सकता है, लेकिन जनप्रतिनिधि कानून 1951 की धारा 62 (5) की वजह से वोटिंग का अधिकार किसी को नहीं होता। 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान किसी मामले में जेल में बंद उत्तराखंड के संयुक्त सचिव पद के एक अधिकारी ने मतदान की अनुमति मांगी थी। तब तत्कालीन मुख्य निर्वाचन अधिकारी राधा रतूड़ी ने आइजी जेल से रिपोर्ट तलब की थी। जिसके बाद आइजी जेल ने एक्ट का हवाला देकर वोटिंग का अधिकार न होने की बात कहीं थी। रिपोर्ट के आधार पर तब डीएम देहरादून को ऐसी किसी भी तरह की अनुमति देने से मना कर दिया गया था।

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इन जेलोंं में बंद हैं लोग

जिला जेल अल्मोडा, जिला जेल नैनीताल, उप कारागार हल्द्वानी, सितारगंज खुली जेल व सेंट्रल जेल, जिला जेल चमोली, जिला जेल पौड़ी गढ़वाल, जिला जेल टिहरी, जिला जेल हरिद्वार, उप कारागार रूड़की, जिला जेल देहरादून

उत्तराखंड की 11 जेलों में बंदियों और कैदियों को मिलाकर 3540 लोगों को रखने की क्षमता है, लेकिन मौजूद लोगों की संख्या के हिसाब से अधिकांश जेलें ओवरलोड हो चुकी है। स्टाफ व अधिकारियों के कई पद भी खाली है। छह जिलों में नई जेल बनाने का प्रस्ताव पूर्व में तैयार हुआ था, मगर मामला अटका हुआ है।

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हरिद्वार के वरिष्ठ जेल अधीक्षक मनोज आर्य का कहना है कि प्रदेश की सभी जेलों में साढ़े छह हजार लोग वर्तमान में बंद हैं। एक्ट की वजह से इन्हें मतदान का अधिकार नहीं है। जिस वजह से अंडर ट्रायल और सजायाफ्ता कोई भी व्यक्ति वोट नहीं दे सकता।

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