उत्तराखण्ड

निर्णय:- इको सेंसेटिव जोन क्षेत्र में खनन कराने पर इस क्षेत्र के जनप्रतिनिधि करेंगे इस तरह का भारी विरोध…..

लालकुआं। 4 साल तक चुप्पी के बाद उत्तराखंड शासन द्वारा नंदौर अभ्यारण के इको सेंसिटिव जोन क्षेत्र में आपदा प्रबंधन अधिनियम के अंतर्गत खुदाई की अनुमति देने की आशंका के बाद इस प्रक्रिया के विरोध को लेकर उक्त क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने लामबंद होकर विरोध के स्वर तेज किए।
प्रधान कमल दुर्गापाल के निवास पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ अत्यन्त सवेदनशील मुद्दे सैन्सेटिव जोन मे खुदाई बाबत विस्तृत बैठक की गई। जिसमें तमाम जनप्रतिनिधियों से चर्चा के बाद तराई पूर्वी वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी से दूरभाष पर वार्ता की तो उन्होंने बताया कि उक्त खुदाई एनजीटी के मानक के बिपरीत है, तथा उनके द्वारा इस संबंध में आपत्ती प्रेषित कर दी गई है, बैठक में बताया गया कि वर्ष 2017–18 मे भी सेंसेटिव जोन में खुदाई का यह प्रस्ताव था जो तत्कालीन जिलाधिकारी, प्रभागीय वनाधिकारी व तत्कालीन विधायक नवीन दुम्का ने सयुक्त निरीक्षण व स्थानीय जनप्रतिनिधियों की राय के बाद निरस्त कर दिया था। बैठक में तय किया गया कि यदि इस तरह की खुदाई का कार्य सेंसेटिव क्षेत्र में किया गया तो क्षेत्रवासी इसका भारी विरोध करेंगे। आज की बैठक मे भी सभी जनप्रतिनिधियों ने अलग-अलग बिन्दुओं पर अपने सुझाव दिये जो लगभग उक्त निर्णय के विपरीत थे, पूर्व विधायक नवीन दुम्का ने कहा कि पहले से ही खनन व्यवसाय सरकार की समतलीकरण नीति के कारण बरबाद हो रहा है। और अब सेंसेटिव जॉन क्षेत्र में खुदाई होने से इससें पुनः अवैध खनन बढने की आशंका जताई जा रही है। बैठक में मौजूद जनप्रतिनिधियों में ग्रामप्रधान आमखेड़ा नंदन बोरा, ग्रामप्रधान नया गांव कटान कमल दुर्गापाल, ग्रामप्रधान पति लाखनमंडी हेम बजेठा, बीडीसी आमखेड़ा नितेश बुधानी, अध्यक्ष किसान सेवा समिति लाखनमंडी प्रकाश बेलवाल, पान सिंह मेवाड़ी, हरीश बजेठा और प्रकाश गरजौला सहित कई समाजसेवी मौजूद थे।
फोटो परिचय- सेंसिटिव जोन क्षेत्र में खुदाई का ताना-बाना बुनने की आशंका पर बैठक करते जनप्रतिनिधिगण

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