लखनऊ। भारतीय पत्रकारिता के एक मजबूत स्तंभ और इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (IFWJ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के. विक्रम राव का आज सुबह निधन हो गया। वह 83 वर्ष के थे। सांस लेने में तकलीफ होने पर उन्हें सुबह लखनऊ के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से देशभर के पत्रकारों, बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में शोक की लहर दौड़ गई है।
डॉ. राव पत्रकारिता के क्षेत्र में एक जाना-माना और सम्मानित नाम थे। उन्होंने अपनी लेखनी से न सिर्फ सत्ता से सवाल किए बल्कि कामकाजी पत्रकारों के हक की लड़ाई भी पूरी मजबूती से लड़ी। दशकों तक उन्होंने निष्पक्ष, निर्भीक और जनपक्षधर पत्रकारिता को जीवंत बनाए रखा। वह उन गिने-चुने पत्रकारों में थे जिन्होंने पत्रकारिता को एक मिशन के रूप में जिया और जीवनपर्यंत उसी के लिए समर्पित रहे।
डॉ. के. विक्रम राव का जन्म एक पत्रकार परिवार में हुआ था। उनके पिता भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और प्रसिद्ध पत्रकार थे। डॉ. राव ने टाइम्स ऑफ इंडिया समूह से अपने पत्रकारिता जीवन की शुरुआत की थी। बाद में वे पत्रकारों के अधिकारों की लड़ाई के लिए ट्रेड यूनियन आंदोलन में सक्रिय हुए और IFWJ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। उनके नेतृत्व में संगठन ने पत्रकारों की नौकरी की सुरक्षा, वेतनमान और सामाजिक सम्मान के लिए कई आंदोलन चलाए।
वह न केवल पत्रकारों के संगठन के नेता थे, बल्कि एक विचारक, लेखक और वक्ता के रूप में भी पहचाने जाते थे। उन्होंने कई पत्र-पत्रिकाओं में स्तंभ लेख लिखे और पत्रकारिता पर आधारित पुस्तकों का संपादन भी किया। उनकी लेखनी में तीखापन था, लेकिन उसमें सच्चाई की आवाज भी गूंजती थी।
डॉ. राव के निधन से पत्रकारिता जगत को जो क्षति हुई है, उसकी भरपाई संभव नहीं। उनके परिवार में पत्नी के. सुधा राव और पुत्र के. विश्वदेव राव शोक संतप्त हैं।
