देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व पुलिस महानिदेशक बीएस सिद्धू के खिलाफ विभिन्न संगीन धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर लिया गया है। उन पर मसूरी में सरकारी जमीन पर कब्जे और पेड़ कटान के गंभीर आरोप लगे हैं।
शासन ने पूर्व डीजीपी के खिलाफ कई संगीन धाराओं जैसे 166, 167,
419,
420,
467,
468,
471,
120-बी के तहत मुकदमा दर्ज किया है।
विदित रहे कि सरकारी जमीन पर कब्जे और जंगलात के पेड़ काटने के मामले में तत्कालीन डीएफओ मसूरी धीरज पांडे ने डीजीपी बीएस सिद्धू के खिलाफ कार्यवाही की थी, बल्कि अदालत में अपने व्यक्तिगत खर्चे पर निजी वकील भी हायर किए थे। लेकिन कुछ दिन पहले अपने खिलाफ शिकंजा कसता देखकर सिद्धू ने देहरादून पुलिस को धीरज पांडे के खिलाफ एक लंबी तहरीर दी थी।
सिद्धू के खिलाफ पेड़ कटान की जांच कर रहे निर्विकार सिंह सहित तमाम कर्मियों को अलग अलग तरीके से परेशान किया गया था, और जांच को प्रभावित करने के लिए काफी हथकंडे अपनाए गये, लेकिन फिर भी निर्विकार सिंह सहित कई लोग पीछे नहीं हटे। वन विभाग के कर्मचारी अधिकारी भी डटे रहे।
मुकदमा दर्ज होने के बाद सिद्धू की गिरफ्तारी भी हो सकती है क्योंकि मुकदमे में कई धाराएं ऐसी है जिनकी सजा 7 साल से अधिक है। और अब तक जिस तरीके से मामले को प्रभावित किए जाने की कोशिश होती रही है, उससे यही लगता है कि यदि गिरफ्तारी नहीं हुई तो इस fir मे भी मुकदमे को प्रभावित करने की कोशिश हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि पूर्व डीजीपी उत्तराखंड बीएस सिद्धू के खिलाफ मसूरी में सरकारी जमीन पर कब्जे की कोशिश और हरे पेड़ काटने का सनसनीखेज आरोप है।
पूर्व डीजीपी सिद्धू ने वर्ष 2012 में मसूरी वन प्रभाग में वीर गिरवाली गांव में 1:30 हेक्टेयर जमीन खरीदी, इस जमीन से मार्च 2013 में साल के 25 पेड़ काट दिए गए।
सूचना मिलने पर वन विभाग ने इसकी जांच कराई तो पता चला कि संबंधित पेड़ जिस जमीन पर हैं वह रिजर्व फॉरेस्ट है।
सिद्धू ने अवैध तरीके से जमीन खरीदी, साल के पेड़ भी काट दिए, इस मामले में वन विभाग ने उनके खिलाफ जुर्माना भी काटा था, बाद में जमीन सिद्धू के नाम की गई रजिस्ट्री भी कैंसिल की गई।
सिद्धू ने अवैध तरीके से जमीन खरीदी साल के पेड़ भी काट दिए, इस मामले में वन विभाग ने उनके खिलाफ जुर्माना भी काटा था, बाद में जमीन कि सिद्धू के नाम की गई रजिस्ट्री भी कैंसिल की गई।
इस मामले में कुछ समय पूर्व ही वन विभाग ने सिद्धू पर रिजर्व फॉरेस्ट में जमीन कब्जाने और पेड़ कटान के आरोप में आईपीसी की धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाने की अनुमति शासन से मांगी थी।