नई दिल्ली। रेसलर विनेश फोगाट को पेरिस ओलंपिक में न्याय मिलने की उम्मीद और मजबूत हो गई है. ऐसा इसलिए क्योंकि देश के टॉप वकील और पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे उनका केस लड़ रहे हैं।
इसके साथ ही पेरिस ओलंपिक में कुश्ती के फाइनल में मात्र 100 ग्राम वजन ज्यादा होने के कारण अयोग्य घोषित विनेश को सिल्वर मेडल मिलने की आस बढ़ गई है. हालांकि मैडल का नतीजा पेरिस की रिंग में नहीं बल्कि खेल जगत की सबसे बड़ी अदालत से आएगा. जहां विनेश की ओर से मोर्चा उस काबिल वकील हरीश साल्वे ने संभाला है, जिन्होंने मात्र 1 रुपये में पाकिस्तान को बेदम कर दिया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक साल्वे ने खेल पंचाट न्यायालय ( सीएएस) में विनेश फोगट की ओर से पेश होने पर सहमति जताई है।
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हरीश साल्वे के इस फैसले ने पूरे देश की उम्मीदें बढ़ा दी हैं. जाहिर है कि ये फैसला ऐसे समय में आया है जब भारतीय ओलंपिक दल को अपनी कानूनी लड़ाई जीतने के लिए किसी बड़े वकील की जरूरत थी. भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) ने CAS के समक्ष विनेश फोगट की अपील के लिए वकील का इंतजाम करने के लिए अतिरिक्त समय का अनुरोध किया था. विनेश ने दो मामलों में अपनी अयोग्यता के खिलाफ अपील की थी. पहला था कि उसे फिर से वजन करने दिया जाए, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया और इस तरह से गोल्ड मैडल की फाइट अपने पूर्व निर्धारित तय समय पर पूरी हुई. विनेश की दूसरी अपील ये थी कि उन्हें सिल्वर मैडल दिया जाए. जिसके बाद खेल पंचाट न्यायालय ने कहा था कि वह इस मामले पर विचार कर सकता है. अब पंचाट में साल्वे अपने दांव-पेंच से विनेश का पक्ष
मजबती से रखेंगे. माना जा रहा है कि आज पूरे देश को झूलने वाली खुशखबरी आ ही जाएगी।
दरअसल भारतीय खेमे ने खेल पंचाट (कॉर्ट ऑफ एर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट) में किसी भारतीय वकील को विनेश के साथ जोड़े जाने की मांग की थी. भारत की मांग के बाद सुनवाई 9 अगस्त की दोपहर तक के लिए टाल दी गई थी. CAS में पहले गुरुवार को ही सुनवाई होनी थी.
कॉर्ट ऑफ एर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट ने विनेश का पक्ष रखने के लिए 4 वकीलों की पेशकश की थी. जिनके नाम जोएल मोनलुइस, एस्टेले इवानोवा, हैबिन एस्टेले किम और चार्ल्स एमसन बताए गए थे. ये चारों पेरिस 2024 ओलंपिक के लिए CAS के निःशुल्क वकील हैं. लेकिन भारतीय दल ने सुनवाई के लिए भारतीय वकील नियुक्त करने के लिए समय मांगा था और ये मांग मान ली गई थी।
दरअसल भारतीय खेमे ने खेल पंचाट (कॉर्ट ऑफ एर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट) में किसी भारतीय वकील को विनेश के साथ जोड़े जाने की मांग की थी. भारत की मांग के बाद सुनवाई 9 अगस्त की दोपहर तक के लिए टाल दी गई थी. CAS में पहले गुरुवार को ही सुनवाई होनी थी.
बताते चलें कि थोड़ी ही देर में ये सुनवाई शुरू होने जा रही है. दोपहर 01.30 बजे के करीब ये सुनवाई होगी और उम्मीद है कि हर बार की तरह इस बार भी साल्वे अपनी काबिलियत से विनेश को उसकी मेहनत का फल दिलावा ही देंगे.
विनेश ने 50 किलोग्राम वेट कैटेगरी में मंगलवार को तीन मैच खेले थे. उन्होंने प्री-क्वार्टर फाइनल में टोक्यो ओलिंपिक की चैंपियन यूई सुसाकी को 3-2 से हराया था. आगे क्वार्टर फाइनल में यूक्रेन की ओक्साना को 7-5 से पटका और सेमीफाइनल में क्यूबा की रेसलर युसनेइलिस गुजमैन को 5-0 से मात दी. विनेश ओलंपिक मुकाबले में क्वालिफाई करने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान थीं. लेकिन अचानक से घटनाक्रम बदले और गोल्ड जीतने का सपना देख रहीं विनेश को डिस्क्वालिफाई कर दिया गया. महज 100 ग्राम एक्स्ट्रा वजन के चलते विनेश का सपना तोड़ दिया गया था. गोल्ड मैडल वाले मुकाबले में विनेश का वजन तय कैटेगरी 50 किलोग्राम से सिर्फ 100 ग्राम ज्यादा मिला था।
ऐसे में साल्वे की भागीदारी के साथ, भारतीय ओलंपिक संघ को सकारात्मक नतीजा मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।जिस तरह चीते की चाल, बाज की नजर और बाजीराव की तलवार पर संदेह नही करते, कभी भी मात दे सकती है. उसी तरह साल्वे की दलीलें किसी भी केस का रुख पलटने की ताकत रखती हैं. साल्वे के आगे अच्छे-अच्छे लड़खड़ा जाते हैं. अपनी दलीलों से ही साल्वे ने इंटरनेशन कोर्ट में पाकिस्तान (Pakistan) को मात दी थी. पाकिस्तान की जेल में बंद कुलभूषण जाधव का केस बस एक रुपए में लड़कर साल्वे ने अपनी देशभक्ति और काबिलियत की मिसाल पेश की थी।
हरीश साल्वे का जन्म 22 जून 1955 को हुआ था. साल्वे के दादा पी. के. साल्वे मशहूर क्रिमिनल लॉयर और परदादा मुंसिफ थे. यानी कानून उनकी रगों में था और उन्होंने बखूबी अपने परिवार की विरासत आगे बढ़ाई. उनकी मां अंब्रिती डॉक्टर और पिता एन.के.पी. साल्वे CA थे. साल्वे ने कई भारतीय बैंक और डिफॉल्टर्स के लिए भी केस लड़े हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी उन्होंने कोर्ट में पक्ष रखा. TATA, ITC, रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी बड़ी कंपनियां उनकी क्लाइंट हैं. कृष्णा गोदावरी गैस बेसिन केस में हरीश साल्वे ने मुकेश अंबानी की ओर से केस लड़ा था. साल्वे, एक बार सलमान खान को भी हिट एंड रन केस की मुश्किल घड़ी से बाहर निकालकर जमानत दिला चुके हैं।