उत्तराखंड में लगातार निजी स्कूलों द्वारा कॉपी किताबों का अतिरिक्त भार अभिभावकों पर डालने की शिकायत मिलने के बाद अब शिक्षा महकमा सतर्क हो गया है, शिक्षा सत्र 2023-24 अप्रैल से प्रारम्भ हो गया है, तथा छात्र – विद्यार्थियों एवं उनके अभिभावकों द्वारा पाठ्य पुस्तकें क्रय की जा रही है। इस संदर्भ में विभिन्न माध्यमों से अभिभावकों एवं जनसामान्य से शिकायतें प्राप्त हो रही है कि राज्य में संचालित विभिन्न बोर्ड के अन्तर्गत मान्यता प्राप्त विद्यालयों में लागू की गयी पाठ्य पुस्तकों की दरें अत्यधिक है, जिससे अभिभावकों पर अनावश्यक व्ययभार पड़ रहा है। साथ ही स्कूल एनसीईआरटी से बाहर का पाठ्यक्रम भी स्कूल में लगा रहे हैं। जबकि पिछली सरकार के दौरान तत्कालीन शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे द्वारा राज्य के निजी स्कूलों में जबरदस्त सख्ती की गयी थी, जिसके चलते निजी स्कूल एनसीआरटी से बाहर का पाठ्यक्रम लगाने से डर रहे थे, क्षेत्रवासियों का कहना है कि पिछली 5 साल की सरकार के दौरान निजी स्कूलों पर शिक्षा विभाग का खौफ बना हुआ था, जैसे भी शिक्षा मंत्री का पदभार अरविंद पांडे से हटा तो निजी स्कूलों की पौबारह हो गई है, वह अब शिक्षा विभाग पर पूरी तरह हावी होकर मनमाना रवैया अपनाते हुए जनता पर अतिरिक्त बोझ डालने से नहीं चूक रहे हैं। यही हाल रहा तो आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को जनता की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है।
आपको यह भी अवगत है कि मा0 उच्च न्यायालय नैनीताल में योजित रिट याचिका संख्या 640/645/669/811 /813/ 835 / 2018 एवं 3302 / 2017 में मा0 उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांक 13 अप्रैल 2018 के अनुपालन में महानिदेशालय के पत्र संख्या – महानिदे 0 / 11918-67/ पा०पु० / 2018-19 दिनांक 02 मार्च 2019 के द्वारा समस्त जनपदों को तदनुसार अनुपालनार्थ यथा आवश्यक दिशा-निर्देश प्रसारित किये गये। इसी क्रम में पुनः संज्ञान में लाना है कि आई०सी०एस०ई० बोर्ड से मान्यता प्राप्त विद्यालयों को छोड़कर अन्य समस्त विद्यालयों में लागू की जा रही पुस्तकें पूर्णतः एन०सी०ई०आर०टी०/ सी०बी०एस०ई० पाठ्यक्रम आधारित होनी आवश्यक है।