उत्तराखण्ड

बढ़ रहा है खनन व्यवसायियों में आक्रोश, पढ़े खबर

गौला नदी के खनन व्यवसाय से जुड़े हजारों ग्रामीणों के समक्ष कोढ़ में खाज वाली कहावत चरितार्थ हो रही है, एक तो क्रेशर स्वामियों ने अनुबंध के बावजूद भाड़ा कम कर दिया, दूसरा अब वन विकास निगम के इंटरनेट में आए दिन खराबी आने के चलते सैकड़ों आरबीएम से लदे वाहन पूरी रात गौला नदी में ही बिताने को मजबूर हो रहे हैं, जिनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। विधानसभा चुनाव के शोरगुल के बीच खनन व्यवसाय से जुड़े लोगों के समक्ष अपने व्यवसाय को चलाए रखना कठिन चुनौती का सबब बनता जा रहा है, 4 माह पूर्व लंबे समय तक हड़ताल करने के बाद मिली सफलता की खुशी कुछ ही समय में चकनाचूर हो गई, क्योंकि स्टोन क्रेशरो ने खनन व्यवसायियों को खनन समिति के अध्यक्ष/ जिलाधिकारी की सहमति के बाद दिया जाने वाला भाड़ा धीरे धीरे कम करना शुरू किया, खनन से जुड़े लोगों का कहना है कि और अब वह भाड़ा बहुत ही आंशिक हो चला है, जिसके चलते उनके समक्ष अपने वाहनों को चला पाना बहुत ही कठिन होता जा रहा है, गत दिवस लालकुआं बेरीपड़ाव, इमलीघाट ओर गोरापड़ाव गेट में इंटरनेट में आई तकनीकी खराबी के चलते निकासी नहीं मिली और आरबीएम से लदे 888 वाहन नदी से बाहर नहीं निकल सके। वरिष्ठ खनन व्यवसाई वीरेंद्र दानू का कहना है कि यदि स्टोन क्रेशरों और वन विकास निगम की व्यवस्थाओं का यही हाल रहा तो खनन व्यवसाई अपने वाहनों को बेचने पर मजबूर हो सकते हैं, क्योंकि जो रेट क्रेशर स्वामी दे रहे हैं उसमें गाड़ी का खर्चा तक नहीं निकल पा रहा है, उन्होंने कहा कि बार-बार हड़ताल करके भी परेशानी होती है, इससे बेहतर तो यह है कि अपने वाहनों को ही बेच दिया जाए। तराई पूर्वी वन प्रभाग गौला रेंज के वन क्षेत्राधिकारी आरपी जोशी का कहना है कि गत दिवस वन विकास निगम के कई गेटों में इंटरनेट प्रणाली खराब हो जाने के चलते 888 वाहन नदी के भीतर ही फंसे रह गए। जिनकी निकासी आज शनिवार को हो पाएगी, इधर खनन व्यवसाई लवली सिंह का कहना है कि आए दिन वन विकास निगम का इंटरनेट खराब रहता है जिसका खामियाजा खनन व्यवसायियों को भुगतना पड़ रहा है, उनका आज का दिन खराब हो गया तथा रात भर गाड़ी की चौकीदारी के लिए अलग से नदी में कर्मचारी की ड्यूटी लगानी पड़ी, ऐसे में खनन व्यवसाय करना अब मुनाफे का व्यवसाय अब नहीं लग रहा है।

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