लालकुआं। लालकुआं की धरती देश की सीमाओं में सेवा करने वाले वीर जवानों की धरती है, और देश के नाम पर अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीरो को उत्तराखंड के साथ-साथ पूरा देश नमस्तक हैं, यहां पिछले 25 वर्षों का इतिहास उठाकर देखे तो इस बीच 15 वीरों ने देश के लिए अपना बलिदान दिया, उससे पूर्व वर्ष 1962, 1965, 1971 की लड़ाई व विभिन्न ऑपरेशनो में यहां के जवानों ने सीमा की रक्षा के खातिर अपने प्राणों की आहुति दी है व युद्ध लड़ा है, उनके परिजन यहां आज भी निवास करते है, लालकुआं के बिंदुखत्ता की आबादी लगभग एक लाख है इस आबादी का 75 फ़ीसदी हिस्सा पूर्व सैनिकों या फिर वर्तमान में देश सेवा में तैनात सैनिकों का है, यहां के सैनिकों ने देश सेवा में कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं, यहां के वीर सैनिकों ने भारत चीन युद्ध, भारत-पाक युद्ध, कारगिल युद्ध तथा समय-समय पर होने वाले विभिन्न ऑपरेशनों में देश सेवा के खातिर अपने प्राणों का बलिदान देकर क्षेत्र का नाम रोशन किया है, वीर माताओं ने अपने कलेजे के टुकड़े, सुहागिनों ने अपने सुहाग व बहनों ने अपने भाइयों को देश पर कुर्बान किया है, अमर शहीदों की याद में यहां शहीद द्वार व पूर्व सैनिक संगठन ने शहीद स्मारक भी बनाया है, बतादें कि यहां के शहीद लांस नायक मोहन नाथ गोस्वामी को वीरता का राष्ट्रीय स्तर पर सर्वोच्च पुरुस्कार अशोक चक्र (मरणोपरांत) से तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उनकी पत्नी को सम्मानित किया।
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देश की रक्षा को शहीद लालकुआं के लाल –
3 सितंबर 2015 – बिंदुखत्ता के इंद्रानगर नगर प्रथम निवासी शहीद लांस नायक मोहन नाथ गोस्वामी ने अदम्य साहस दिखाकर 10 आतंकवादियों को ढेर कर वे वीरगति को प्राप्त हो गए जिन्हें देश का सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार अशोक चक्र (मरणोपरांत) का सम्मान राष्ट्रपति ने दिया।
17 मई 1995 – बिंदुखत्ता कें इंद्रानगर दो निवासी शहीद नायक शेखर चंद्र फुलारा जम्मू कश्मीर में ऑपरेशन रक्षक के दौरान वीरगति को प्राप्त हो गए,
12 नवम्बर 1999 – हल्दुचौड के परमा गांंव निवासी शहीद देवी दत्त खोलिया जम्मूूू कश्मीर के पुंछ में दुश्मनों से लड़ते-लड़ते शहीद हो गए।
10 मई 2000 – बिंदुखत्ता के शीशमभुजिया निवासी शहीद हवलदार हर्ष सिंह जम्मू कश्मीर में ऑपरेशन रोड रक्षक के दौरान शहीद हो गए।
25 सितंबर 2000 – बिंदुखत्ता के खुरियाखत्ता निवासी शहीद सिपाही महेश सिंह भैंसोडा जम्मू कश्मीर में ऑपरेशन रक्षक बारामुला के दौरान शहीद हो गए।
18 जनवरी 2001- बिंदुखत्ता के इंद्रानगर दो निवासी शहीद सूबेदार गोविंद सिंह पपोला जम्मू कश्मीर के आनंदपुर सर्च ऑपरेशन के दौरान बम विस्फोट मैं शहीद हो गए। (कारगिल)
11 जनवरी 2002 – बिंदुखत्ता के तिवारी नगर चित्रकूट निवासी शहीद सिपाही जीवन सिंह खोलिया जम्मू कश्मीर की सियाचिन एलसी सेक्टर में पाकिस्तानी घुसपैठियों से लड़ते हुए शहीद हो गए।(कारगिल)
09 जुलाई 2002 – बिंदुखत्ता के इंद्रानगर प्रथम निवासी शहीद सिपाही नंदा बल्लभ देवराडी जम्मू कश्मीर मैं ऑपरेशन रक्षक सांभा सेक्टर में पाकिस्तानी सैनिकों से लड़ते हुए शहीद हो गए।(कारगिल)
03 जून 2003 – बिंदुखत्ता के 17 एकड़ शास्त्री नगर निवासी शहीद सिपाही जगत सिंह जम्मू कश्मीर के सियाचिन एल सी सेक्टर में दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हुए। (कारगिल)
07 अगस्त 2006 – बिंदुखत्ता के संजय नगर निवासी शहीद विक्रम सिंह कन्याल जम्मू कश्मीर में ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए।
07 अगस्त 2008 – बिंदुखत्ता के खुरियाखत्ता निवासी शहीद सिपाही राम सिंह धामी झारखंड में नक्सली हमले में शहीद हुए।
24 नवम्बर 2009 – बिंदुखत्ता के इंद्रानगर प्रथम निवासी शहीद सिपाही महेंद्र सिंह धामी ने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
11 जून 2020- गोरापड़ाव निवासी एवरेस्ट विजेता शाहिद सूबेदार जमुना प्रसाद पनेरु ने जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा मैं पेट्रोलिंग के दौरान देश के लिए शहीद हो गए।
मार्च 2002 – हल्दूचौड़ के भान देव निवासी शहीद सिपाही सुधीर बमेठा ने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
1984 – हल्दूचौड़ के दौलिया ग्रामसभा निवासी जगदीश चन्द्र जोशी ने अमृतसर में ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान वीरगति प्राप्त की।
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(वर्तमान में सभी के परिजन बिंदुखत्ता में निवास करते हैं)
1- बिंदुखत्ता के गांधी नगर शहीद धनी राम 15-08-1965 महर रेजिमेंट भारत पाक युद्ध में देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों को न्यौछावर किया।
2- बिंदुखत्ता के गांधीनगर निवासी शहीद सिपाही धनीराम व शहीद सिपाही मोहन सिंह रावत ने 7-09-1965 में जम्मू कश्मीर में भारत पाक युद्ध में वीरगति प्राप्त की,
3- बिंदुखत्ता के संजय नगर निवासी सिपाही शहीद चंद्रमणि ने 05-12-1971 में बांग्लादेश में ऑपरेशन ककट्स लीली के दौरान देश रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देे दी,
4- बिंदुखत्ता के राजीव नगर निवासी शहीद हवलदार किशन सिंह ने 1984 में जम्मू कश्मीर में देश की रक्षा करते हुए
5- बिंदुखत्ता के राजीव नगर घोड़ानाला निवासी शहीद सिपाही चंदर राम 1988 में श्रीलंका में ऑपरेशन पवन के दौरान शहीद हो गए।
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इन वीर सैनिकों ने लड़ा कारगिल युद्ध।
पूर्व सैनिक संगठन के अध्यक्ष खिलाफ सिंह दानू व मीडिया प्रभारी प्रकाश मिश्रा ने जानकारी दी कि बिंदुखत्ता के जाबांज देवेंद्र सिंह चौहान, दर्शन सिंह साही, मोहन सिंह कोरंगा, सुंदर सिंह खर्कवाल, लक्ष्मण सिंह, होशियार सिंह, आनंद प्रकाश, तारा सिंह, हर्मल सिंह, उमेश सिंह व दरबान सिंह सहित लगभग कई वीर जाबांजो ने कारगिल युद्ध में शिरकत की थी।
लालकुआं। अशोक चक्र से सम्मानित शहीद मोहन नाथ गोस्वामी स्टेडियम का निर्माण 7 वर्ष बाद भी नहीं हो सका है। जिसके चलते सैनिकों एवं पूर्व सैनिकों में असंतोष व्याप्त है।
शहीद मोहन नाथ गोस्वामी की शहादत के बाद तत्कालीन सरकार द्वारा बिंदुखत्ता में उनके नाम से मिनी स्टेडियम बनाने का ऐलान किया था, जिसके बाद यहां 25 एकड़ झोपड़पट्टी के सामने स्थित तराई पूर्वी वन प्रभाग की भूमि का चयन भी कर लिया गया, साथ ही इतनी भूमि सरकार द्वारा वन विभाग को हस्तांतरित भी कर दी गई, परंतु इस प्रक्रिया को पूरे हुए 7 वर्ष बीत जाने के उपरांत भी बिंदुखत्ता में शहीद मोहन नाथ गोस्वामी स्टेडियम का निर्माण नहीं हो सका है। उक्त स्टेडियम के निर्माण को लेकर रोजाना तरह-तरह के अपडेट मिलते रहते हैं, परंतु धरातल में आज तक काम नहीं हो सका है। पूर्व में 5 हेक्टेयर भूमि स्टेडियम निर्माण के लिए तय की गई थी, अब वन विभाग मात्र 2 हेक्टेयर भूमि मुहैया कराने की बात कह रहा है। जिससे पूर्व सैनिकों में असंतोष उभर रहा है। पूर्व सैनिक संगठन के अध्यक्ष खिलाफ सिंह दानू का कहना है कि पूर्व में निर्धारित भूमि पर ही शहीद मोहन नाथ गोस्वामी स्टेडियम का निर्माण होना चाहिए, अन्यथा पूर्व सैनिक संगठन आंदोलन को बाध्य हो जाएगा। इधर शहीद मोहन नाथ गोस्वामी की वीरांगना भावना गोस्वामी ने भी मिनी स्टेडियम का निर्माण अब तक ना होने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की।