लालकुआं। यहां पच्चीस एकड़ रोड स्थित भोले मंदिर के सामने चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस कथा वाचक अवधेश मिश्र ने कहा कि सच्चिदानंद स्वरूप परमात्मा को जानना ही श्रीमद्भागवत को समझना है, क्योंकि श्रीमद्भागवत साक्षात सच्चिदानंद परमात्मा का ही रूप है, उन्होंने कहा कि सत, चित, आनंद यह तीन शब्द लौकिक और अलौकिक जगत के सार है, इन तीन को जान लेना ही श्रीमद्भागवत को समझना है। और जिसने श्रीमद्भागवत को समझ लिया उसके लिए फिर जीवन में कुछ भी शेष नहीं है।
उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत योगेश्वर भगवान कृष्ण का स्वरूप होने के अलावा संत महिमा से सराबोर है, जो नैमिषारण्य के अठासी हजार संत महात्माओं की कथा से शुरू होता हुआ महर्षि व्यास, देव ऋषि नारद से होकर सुकदेव मुनि तक पहुंचती है। कथावाचक ने आज देव ऋषि नारद की भक्ति से भेंट ज्ञान और वैराग्य का फिर से अपनी चेतन्य अवस्था को प्राप्त होना गोकर्ण, आत्मदेव, धुंध कारी कथा का भी बहुत ही सुंदर तरीके से वर्णन किया। इस अवसर पर अल्मोड़ा से आई साध्वी महात्मा करुना बाई ने भगवान कृष्ण की भक्ति भगवान कृष्ण का मुरली बजाने के पीछे तात्पर्य इसका बहुत ही सुंदर ढंग से मार्गदर्शन किया। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य आयोजक महात्मा सत्यबोधानंद, साध्वी महात्मा प्रचारिका बाई, लीलावतीबाई, पुष्प लता बाई, महात्मा आलोकानंद, प्रभाकरानंद, मानसानंद के अलावा पूर्व चेयरमैन रामबाबू मिश्रा, अजय उप्रेती, कन्हैया सिंह मुख्य यजमान जगदीश प्रसाद अग्रवाल, शंभू दत्त नैनवाल, उर्मिला मिश्रा, भगवान दास वर्मा डॉ आरपी श्रीवास्तव, नंदी उप्रेती, अशोक गिरी समेत अनेकों श्रद्धालु मौजूद थे।
फोटो परिचय- श्रीमद् भागवत कथा प्रवचन करते व्यास अवधेश मिश्र किंकर
फोटो परिचय- कथा श्रवण करती मातृशक्ति