देवभूमि उत्तराखंड के टिहरी निवासी अर्थशास्त्री पुष्पा भट्ट जोकि अब लखनऊ में निवास करती है को एक दिन लखनऊ बाजार में पता चला की मांग के सापेक्ष केले का उत्पादन लखनऊ में नहीं होता। केला महाराष्ट्र से आता है। बस यही पुष्पा का टर्निंग प्वाइंट बन गया। केले की टिश्यू कल्चर विधि से केले की खेती शुरू की और लखनऊ को केले का हब बना दिया। वर्तमान में उनके पास छह हजार विकसित केले के पौधे हैं, जिससे 1500 किलो केला हर दिन पैदा होता है। लखनऊ के राजकीय पालीटेक्निक में सहकार भारती के कार्यक्रम में उनके स्टाल की सराहना की गई। केले को प्राकृतिक रूप से पकाने वाली वह पहली महिला किसान हैं।
श्रीमती पुष्पा भट्ट जी के संबंध में पूरी जानकारी इस प्रकार है-
पर्यावरणीय बदलाव के बीच सामाजिक सरोकारों को जीवन का हिस्सा बनाकर महिलाओं के जीवन को करीब से निहारती रहीं। नौकरी की भागमभाग के बीच बिजनेसमैन पति के साथ कुछ नया करने का सपना भी उनके मन में हिलोर ले रहा था। डीएवी कालेज में प्राचार्य की नौकरी करने वाली इंदिरानगर लखनऊ निवासी पुष्पा भट्ट का पसंदीदा विषय अर्थशास्त्र था, लेकिन वह पढ़ाई के साथ किसानों और महिलाओं को अर्थशास्त्र का प्रयोग खेतों में करके दिखाना चाहती थीं, और 2004 में वह दिन आया, जब उन्होंने नौकरी को अलविदा कह दिया। पति एमपी भट्ट ने हौसला बढ़ाया तो जैविक खेती कर लखनऊ में अपनी पहचान बनाई। महिलाओं को रोज़गार से जोड़ना और आम लोगों को जैविक उत्पादों के बारे में जानकारी देना उनकी दिनचर्या है। वैज्ञानिक तकनीक के साथ जैविक खेती के गुर सीखने में पसीना बहाने वाली पुष्पा को खेती के लिए जमीन भी चाहिए थी। कम पैसे में वाली जमीन की खोज शुरू हुई तो
बंजर जमीन की तलाश कुर्सी रोड के भरतपुरवा गांव में पूरी हुई। पांच हेक्टेयर जमीन ऐसी थी कि उस पर वर्षों से हल ही नहीं चला था। नई और पुरानी तकनीक के गठजोड़ के साथ सामान्य व जैविक तरीके से खेती की शुरुआत कर दी। हालात यह हुए कि उस बंजर भूमि से निकला ‘सोना’ उनके जीवन
में खुशहाली का सबब बन गया। तकनीक सीखने के लिए वह फ्रांस गईं और नई तकनीकों को सीखा और ग्रामीणों को भी सिखाकर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा कर दिया। 600 से अधिक महिलाएं उनके साथ जुड़कर आर्थिक समृद्धि कर रही हैं। 2013 में उन्हें उद्यान रत्न अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
पुष्पा भट्ट जी के पति एमपी भट्ट के बारे में पढ़ें……..
फूड एंड टेक्नोलॉजी के जाने माने विशेषज्ञ और उद्योगपति एमपी भट्ट उत्तराखंड में छोटे उधमो को कैसे लगाएं और प्रोत्साहित करें विषय पर वर्षों से अपने अनुभव साझा कर रहे हैं।
एमपी भट्ट की यूनिट एमसीबी एग्रोटेक प्राइवेट लिमिटेड के न्यूट्रैयूटिकल एंड इम्युनिटी बूस्टर प्रोडक्ट्स में सैकड़ों लोग रोजगार प्राप्त कर रहे हैं। तथा उक्त इम्यूनिटी बूस्टर सिरप को अत्यधिक पसंद किया जा रहा है। कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर एमपी भट्ट ने बताया कि यह इम्यूनिटी बूस्टर सिरप पर्वतीय क्षेत्रों में पैदा होने वाले फलों से तैयार किया जा रहा है। इस प्रकार के कई फ्लेवर में विभिन्न इम्यूनिटी बूस्टर सिरप उनके द्वारा बनाए जा रहे हैं जिन पर्वतीय फलों से वह जूस बनाते हैं उनमें (लेमन) जिसको गलगल भी कहते हैं इसमें विटामिन सी की मात्रा बहुत अधिक होती है, और इसका सेवन ठंड के समय अत्यधिक लाभप्रद है।
देहरादून और रामनगर में पैदा होने वाली लीची, माल्टा, खुमानी, पुलम, सेव, पहाड़ का टमाटर जिसमें लाइकोपीन की परसेंटेज बहुत अधिक होती है, से वह इम्यूनिटी बूस्टर सिरप का निर्माण कर रहे हैं जिसकी देश विदेशों में अत्यधिक डिमांड है, इसके अलावा उनके द्वारा हर्बल के क्षेत्र में भी अत्यधिक कार्य किया जा रहा है, पर्वतीय क्षेत्रों के 9 जड़ी बूटियों से वह पौष्टिक ड्रिंक का निर्माण कर रहे हैं। जिसमें काला जीरा, दालचीनी, एलोवेरा, छोटी इलायची, काली मिर्च, अदरक, केसर, शुद्ध शिलाजीत, और लॉन्ग कम मात्रा में प्रयोग करते हैं इन वस्तुओं से बना ड्रिंक अत्यधिक इम्यूनिटी युक्त एवं पौष्टिक होता है।
तथा एमसीबी एग्रोटेक प्राइवेट लिमिटेड की खूब सराहना की।
मूल रूप से उत्तराखंड के जनपद टिहरी निवासी एमपी भट्ट द्वारा लालकुआं विधानसभा क्षेत्र के गौलापार में भी जमीन खरीद कर इस प्रकार का उद्योग लगाने का निर्णय लिया है। ताकि पर्वतीय फलों की खपत हल्द्वानी मंडी से ही उनके उद्योग में हो जाए उन्होंने कहा कि वह खराब हो चुके फलो से भी गुणवत्ता युक्त औषधि निकाल लेते हैं। इसलिए पर्वतीय फलों के खराब होने पर भी स्थानीय युवा उससे मोटा मुनाफा कमा सकते हैं। तथा क्षेत्र के बेरोजगारों को रोजगार एवं पूरे देश में उत्तराखंड के फलों के इम्यूनिटी बूस्टर सिरप की मजबूत पकड़ पहुंचाने का निश्चय कर चुके हैं।