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हाथी कारीडोर को लेकर आया जबरदस्त अपडेट, जल्द शुरू होगा यह कार्य……पढ़ें महत्वपूर्ण खबर

लालकुआं। देवरामपुर और लालकुआं खनन निकासी गेट के बीच हाथी कॉरिडोर के 2.4 किलोमीटर के क्षेत्र में खनन किया जाएगा। राज्य के पीसीसीएफ की अध्यक्षता में अनुश्रवण समिति की बैठक में इसकी अनुमति दे दी गई है। इसके लिए वन विकास निगम को प्रस्ताव तैयार करने को कहा गया है।

लालकुआं स्थित हाथी कॉरिडोर से वर्षों से हाथी समेत कई वन्यजीव टनकपुर-नेपाल बॉर्डर और बिहार तक जाते हैं। कॉरिडोर का यह रास्ता गौला से भी जाता है, लेकिन हाथी कॉरिडोर होने के चलते करीब 2.4 किमी एरिया में खनन नहीं होता था। विगत वर्षों में हाथी कॉरिडोर में काफी रेता, बजरी व जमा हो जाने पर वन विभाग ने मंडी परिषद के माध्यम से गौला को चैनलाइज करवाया, ताकि गौला से आसपास कटाव न हो। इधर, अच्छी मात्रा में आरबीएम होने के चलते सालों से कॉरिडोर में खनन की मांग उठती रही। लेकिन बीते दोनों देहरादून में पीसीसीएफ की अध्यक्षता में हुई अनुश्रवण समिति की बैठक में हाथी कॉरिडोर के 2.4 किमी क्षेत्र में खनन की अनुमति दे दी गई है। डीएलएम (गौला) वाईके श्रीवास्तव ने बताया कि प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।

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विदित रहे कि गत 3 जून को क्षेत्रीय विधायक डॉ मोहन बिष्ट ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भेंट करते हुए मांग की कि गौला नदी में हाथी कारीडोर क्षेत्र बिंदुखत्ता क्षेत्र के लिए हमेशा संकट की स्थिति उत्पन्न कर देता है, क्योंकि उक्त क्षेत्र में वर्षों से खनन कार्य नहीं हो रहा है, जिसके चलते हाथी कारीडोर क्षेत्र से नदी का रूख गांव की तरफ हो जाता है, जो कि बिंदुखत्ता में भारी भू कटाव करते हुए कृषको की भूमि का कटाव कर उसे गौला नदी में तब्दील कर देता है, इसलिए अभिलंब हाथी कारीडोर क्षेत्र में खनन कार्य शुरू करवाया जाए, विधायक ने इस संबंध में उन्हें ज्ञापन भी सौंपा। इस पर मुख्यमंत्री ने उन्हें जल्द कार्रवाई का आश्वासन दिया था। और अब उसे मूर्त रूप मिल चुका है, जल्द ही आगामी खनन सत्र से हाथी कारीडोर क्षेत्र में भी खनन कार्य किया जाएगा, जिससे गौला नदी से लगे हुए ग्रामीण क्षेत्र में भू कटाव की समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी।

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