उत्तराखण्ड

गरीबी का दंश झेल रही उत्तराखंड की जनता जबकि, धन्ना सेठ होते गए माननीय

अत्यंत विषम परिस्थितियों एवं लंबे संघर्ष और सैकड़ो के बलिदान के बाद उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ। राज्य गठन के बाद लोगों को लगा कि अब उनका भी जीवन स्तर सुधरेगा। गरीबी के दलदल से निकलेंगे, बुनियादी सुविधाएं भी बेहतर होंगी। लेकिन हो इसके ठीक विपरीत हो रहा है। सूबे के अस्तित्व में आने के बाद से जनप्रतिनिधियों की संपत्ति में तो खूब इजाफा हुआ, लेकिन जनता मुफलिसी के दलदल में ही फंसी रही।

नीति आयोग की रिपोर्ट 2021 के मुताबिक राज्य की करीब 17.87 लाख की आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही है। रिपोर्ट में सूबे का सबसे गरीब जिला अल्मोड़ा को बताया गया है। जहां 25.65 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बशर कर रही है। अल्मोड़ा समेत उत्तराखंड के छह जिले ऐसे हैं, जिनका गरीबी सूचकांक 20 प्रतिशत से भी अधिक है। यानि इन छह जिलों का गरीबी सूचकांक राज्य के औसत सूचकांक से भी अधिक है। कुमाऊं के अल्मोड़ा, बागेश्वर, चम्पावत, ऊधमसिंह नगर और गढ़वाल मंडल के हरिद्वार, उत्तरकाशी जिले की 20 प्रतिशत आबादी गरीब है।

उत्तराखंड में चुनावी बिगुल बज चुका है। उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया अंतिम चरण में है। हर चुनाव की तरह इस चुनाव में भी दल और दावेदार लोक लुभावन वादों के साथ जनता के दर पर हैं। वाेट के लिए लोगों को रिझाने की हर कोशिश कर रहे हैं। वादों की झड़ी लगा रहे हैं लेकिन अतीत खोखले वादों का गवाह है। सूबे में नेताओं की संपत्ति तो बेतहाशा बढ़ी लेकिन जनता कंगाल होती चली गई। एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिपोर्ट के मुताबिक 2012 के विधानसभा चुनाव में 143 प्रत्याशी करोड़पति थे वहीं बीते चुनाव में 195 उम्मीदार करोड़पति थे। 2012 में 30 विजयी प्रत्याशी करोड़पति थे, जबकि बीते चुनाव में 46 विजयी प्रत्याशी करोड़पति थे। यानी कुल विजयी प्रत्याशियों के मुकाबले 71 प्रतिशत उम्मीदवार करोड़पति हैं।

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25 प्रतिशत से अधिक गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले अल्मोड़ा जिले की कुल छह विधानसभा सीटों सिर्फ एक को छोड़कर पांच विधायक करोड़पति हैं। जिनमें सोमेश्वर विधायक रेखा आर्य की संपत्ति सर्वाधिक 12 करोड़ से अधिक दर्शाई गई है। 11 विधानसभा सीटों वालों हरिद्वार जिले में नौ विधायक करोड़पति हैं। जिनमें कांग्रेस से मंगलोर के विधायक काजी मोहम्म नजीमुद्दीन की संपत्ति 21 करोड़ से अधिक है। तीन विधासभा सीटों वाले उत्तरकाशी जिले में दो विधायक करोड़पति हैं। वहीं नौ विधानसभा सीटों वाले ऊधमसिंहनगर जिले में पांच विधायक करोड़पति हैं। जिनमें किच्छा विधायक राजेश शुक्ला की संपत्ति 25 करोड़ से अधिक दशाई गई है। दो विधानसभा सीटों वाले चंपावत जिले में दोनों विधायक करोड़पति हैं। दो विधानसभ सीटों वाले बागेश्वर जिले में दोनों विधायक लखपती हैं।

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पांच करोड़ से अधिक की हैसियत वाले उत्तराखंड के विधायक

विधायक पार्टी विधानसभा क्षेत्र जिला कुल संपत्ति

सतपाल महराज भाजपा चौबट्टाखाल पौड़ी गढ़वाल 80,25,55,607

महेश सिंह कोली भाजपा पौड़ी पौड़ी गढ़वाल 35,40,000

राजेश शुक्ला राजेश शुक्ला किच्छा यूएसनगर 25,97,86,332

काजी मोहम्मद नजीमुद्दीन कांग्रेस मंगलोर हरिद्वार 21,30,38,282

रेखा आर्य भाजपा सोमेश्वर अल्मोड़ा 12,78,13,693

प्रीतम सिंह कांग्रेस चकराता देहरादून 8,10,21,731

कैलास चन्द्र भाजपा चंपावत चंपावत 5,48,34,049

हरभजन सिंह चीमा भाजपा काशीपुर ऊधमसिंहनगर 5,52,72,423

नोट : संपत्तियों का विवरण एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिपोर्ट 2017 के मुताबिक

उत्तराखंड के जिलों में गरीबी सूचकांक

जिला जनसंख्या गरीब

अल्मोड़ा 622506 159672

हरिद्वार 1890422 468068

उत्तरकाशी 330086 80144

यूएसनगर 1648902 382545

चम्पावत 259648 58187

बागेश्वर 259898 51953

टिहरी 618931 120691

चमोली 391605 65789

पिथौरागढ़ 483439 67488

रुद्रप्रयाग 242285 33701

नैनीताल 954605 128012

पौड़ी 687271 81991

देहरादून 1696694 81991

राज्य में सर्वाधिक संपत्ति सतपाल महराज के पास

सूबे में कुल 65 विधायकों के सापेक्ष 46 विधायक करोड़पति हैं। इनमें भाजपा के 54 विधायकों में से 37 और कांग्रेस के नौ में से आठ और दो निर्दलीय में से एक विधायक शामिल हैं। सर्वाधिक संपत्ति वाले विधायकों की सूची में टॉप पर मौजूदा काबीना मंत्री और चौबट्टाखाल के विधायक सतपाल महाराज हैं। एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक महाराज की 80 करोड़ रुपये से अधिक की संपति के मालिक हैं।

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निधि खर्च करने में भी दिखाई कंजूसी

काशीपुर निवासी आरटीआई एक्टीविस्ट नदीम उद्दीन ने उत्तराखंड के ग्राम्य विकास आयुक्त कार्यालय से 2017 से सितंबर 2021 तक कुल विधायक निधि खर्च का ब्यौरा मांगा था। मिली जानकारी के कुल मिली निधि 1256.50 करोड़ में 293.10 करोड़ निधि खर्च नहीं की गई। जनमें धन सिंह ने तब तक निधि का महज 60 प्रतिशत खर्च किया। जबकि तब तक 61 से 65 फीसद खर्च वाले विधायकों में महेश नेगी, सुरेन्द्र सिंह नेगी, सहदेव पुंडीर शामिल हैं। 66 से 70 फीसद वालों में प्रीतम सिंह, मगन लाल शाह, मदन सिंह कौशिक, मुन्ना सिंह चौहान, करन माहरा, पुष्कर सिंह धामी, विनोद चमोली, महेंद्र भट्ट शामिल हैं। 71 से 75 फीसद खर्च करने वाले विधायकों में प्रेमचंद्र, यशपाल आर्य, सुरेन्द्र सिंह जीना, राजकुमार ठुकराल, केदार सिंह रावत, खजान दास, हरवंश कपूर, गोविंद सिंह कुंजवाल, त्रिवेंद्र सिंह रावत, सतपाल महाराज, राजकुमार, विजय सिंह पंवार, सुबोध उनियाल शामिल हैं।

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