उत्तराखण्ड

देश- विदेश में रह रहे इन प्रवासी उत्तराखंडियों ने की अभूतपूर्व पहल…………….. कुमाऊं एवं गढ़वाल के इन गांवों को लिया गोद……………… इस दिन देहरादून में हो रहे प्रवासी सम्मेलन में लिए जाएंगे महत्वपूर्ण निर्णय……………………

देहरादून। अपनी माटी अपना देश वाली कहावत अब चरितार्थ होने लगी है, यहां देश- विदेश में रह रहे प्रवासी उत्तराखंडियों को जड़ों से जोडने के प्रयास रंग लाने लगे हैं। 12 जनवरी को देहरादून में होने वाले अंतरराष्ट्रीय प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन से पहले ही प्रवासियों में गांवों को गोद लेने के मामले में उत्साह देखते ही बनता है। प्रवासी उत्तराखंडियों को जागरूक करने का कार्य मूल रूप से टिहरी निवासी एवं लखनऊ में अपनी संस्था के माध्यम से समाज सेवा कर रहे वरिष्ठ वैज्ञानिक एमपी भट्ट ने उत्तराखंड की मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी की प्रेरणा से बखूबी किया, जिसके चलते अब तक 11 प्रवासियों ने अपने-अपने पैत्रक क्षेत्र के गांव गोद लेने का अहम निर्णय लिया है।
अभी तक 11 प्रवासी उत्तराखंडियों ने 17 गांव गोद लेने का इरादा जताया है। इनमें छह विदेश में रह रहे हैं. जबकि पांच देश के विभिन्न राज्यों में निवासरत हैं। इस बीच मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सोमवार को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि वे प्रवासियों से संपर्क व समन्वय के लिए अपने-अपने जिले में एक-एक नोडल अधिकारी नियुक्त करें।
प्रवासी उत्तराखंडियों को जड़ों से जोडने और राज्य के विकास में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने पर सरकार ने ध्यान केंद्रित किया है। इस क्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर प्रवासियों से संपर्क साधने को शासन में बाकायदा प्रकोष्ठ गठित किया गया है। काफी संख्या में प्रवासियों ने राज्य के गांवों के विकास के दृष्टिगत इन्हें गोद लेने पर सहमति जताई है। इस बीच प्रवासी प्रकोष्ठ 12 जनवरी को देहरादून में अंतरराष्ट्रीय प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन भी आयोजित करने जा रहा है। इसकी तैयारियों के क्रम में मुख्य सचिव ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलाधिकारियों के साथ बैठक की।
मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को यह भी साफ किया कि प्रवासियों द्वारा गोद लिए जा रहे गांवों में विकास के लिए किसी भी प्रकार की बाध्यता न रखी जाए। प्रवासियों को उनकी इच्छा व रुचि के अनुसार विकल्प दिए जाए।

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जो प्रवासी उत्तराखंडी गांवों को गोद ले रहे हैं उनमें

  • शैलेश उप्रेती (अमेरिका) अल्मोड़ा के मानन गांव को गोद ले रहे हैं। वे अल्मोड़ा में माडल एनर्जी स्टोरेज सेंटर भी विकसित करेंगे।
  • नीतू अधिकारी (यूनाइटेड किंगडम) नैनीताल के एक्वातोक जगलिया गांव को गोद लेकर पर्यटन को बढ़ावा देंगी। वह कीवी की खेती व योग केंद्र की स्थापना करेंगी। इसके साथ ही देहरादून के सभावाला में कौशल विकास पर कार्य करेंगी।
  • देव रतूड़ी (चीन) ने टिहरी के सोनार व केमरिया गांव गोद लिए हैं। गांवों में सोलर लाइट समेत सामुदयिक सुविधाओं के विकास को फंड भी दे चुके हैं। वह गांव के युवाओं को चीन में रोजगार व शिक्षा दिलाने को भी प्रयास करेंगे।
    विनोद जैथुरी (संयुक्त अरब अमीरात) उत्तरकाशी का ओसला गांव गौद ले रहे हैं, जहां वे कौशल विकास पर कार्य करेंगे।
  • गिरीश पंत (दुबई) ने पिथौरागढ़ के बजेट, बरशायत व बेरीनाग गांवों को गोद लेकर शिक्षा, कंप्यूटर शिक्षा व स्थानीय उत्पादों के प्रोत्साहन में रुचि ली है।
  • डा एके काला (थाईलैंड) पौड़ी के फंदाई गांव को गोद लेकर शिक्षा व स्थानीय उत्पादों के प्रोत्साहन को कार्य करेंगे।
  • बीपी अथवाल (दिल्ली) ने टिहरी के मंजरी व मुयाल गांवों में किसानों को उच्च मूल्य की फसलों की खेती को प्रोत्साहित करने का इरादा जताया है।
  • वरिष्ठ वैज्ञानिक एमपी भट्ट (लखनऊ) टिहरी के झीन व भदरसू गांवों में अदरक, हल्दी व लैमन की खेती को बढ़ावा देंगे।
  • डा वीरेंद्र रावत (अहमदाबाद) प्रतापनगर के हेरवाल गांव को गोद लेकर उसे ग्रीन बिलेज के रूप में विकसित करेंगे।
  • प्रदीप सती (बेंगलुरू) भिकियासैंण के हानङ गांव में ईको टूरिज्म और संतरा व सेब की व्यावसायिक खेती को बढ़ावा देने को काम करेंगे।
    अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी (मुंबई) ने भटवाडी गांव में पर्यावरण संरक्षण, आजीविका विकास व संस्कृति के क्षेत्र में कार्य करने की इच्छा जताई है।
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