उत्तराखण्ड

पंतनगर विश्वविद्यालय रुस की मदद से करने जा रहा है यह सपना साकार……. बद्री गाय को लेकर भी हो रहा यह चमत्कारिक कार्य……

पंतनगर। पंतनगर विश्वविद्यालय करेगा सफेद बाघ की क्लोनिंग, रूस को देगा तकनीकी सहयोग।

जंगल का सम्राट सफेद बाघ अब प्रयोगशाला की दीवारों के भीतर भी जन्म ले सकता है।
यह सपना अब हकीकत बनने जा रहा है। रूस ने जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर से दुर्लभ सफेद बाघ की क्लोनिंग में तकनीकी सहयोग मांगा है।
विश्वविद्यालय ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय उपलब्धि में बदलने की तैयारी शुरू कर दी है।
रूस–पंतनगर बना विज्ञान का नया सेतु।

जीबी पंत विवि के कुलपति डा. मनमोहन सिंह चौहान ने बताया कि रूस की सेंट पीटर्सबर्ग यूनिवर्सिटी ऑफ वेटनरी साइंस से इस संबंध में गहन बातचीत चल रही है। इसी वर्ष फरवरी में रूस से आए वैज्ञानिकों और छात्रों का दल पंत विवि पहुँचा था। उस दौरान व्हाइट टाइगर क्लोनिंग पर गंभीर विमर्श हुआ और तकनीकी सहयोग पर सहमति बनी। क्लोनिंग की रहस्यमयी तकनीक सफेद बाघ की क्लोनिंग के लिए सोमैटिक सेल न्यूक्लियर ट्रांसफर तकनीक का उपयोग किया जाएगा। इस प्रक्रिया में किसी कोशिका का नाभिक निकालकर उसे अंडाणु में प्रविष्ट कराया जाता है। फिर विद्युत तरंगों की मदद से भ्रूण विकसित कर जीवन देने का प्रयास किया जाता है। यह विज्ञान और प्रकृति का अद्भुत संगम है लेकिन उतना ही संवेदनशील और जटिल भी।
रीवा से शुरू हुई दास्तान।
भारत में सफेद बाघ का इतिहास 1951 से जुड़ा है। रीवा (मध्य प्रदेश) के महाराजा मार्तंड सिंह ने गोविंदगढ़ के पास से पहला व्हाइट टाइगर पकड़ा और उसका नाम मोहन रखा। तभी से रीवा को सफेद शेरों की नगरी कहा जाने लगा। आज भी रीवा की व्हाइट टाइगर सफारी विश्व भर के पर्यटकों को आकर्षित करती है।

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गिर गाय “गंगा” और बद्री गाय की सफलता
बॉक्स।
डा. चौहान के नेतृत्व में विश्वविद्यालय ने 16 मार्च 2023 को भारत की पहली क्लोन गिर गाय का जन्म कराया, जिसका नाम “गंगा” रखा गया। इसके साथ ही उत्तराखंड की प्रतीकात्मक नस्ल बद्री गाय को बचाने के लिए भी क्लोनिंग परियोजना प्रगति पर है। यही सफलताए पंत विवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिला रही हैं और रूस को सहयोग लेने के लिए प्रेरित कर रही हैं।

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विज्ञान, व्यापार और पर्यटन का संगम
बॉक्स। विशेषज्ञों का मानना है कि यह परियोजना केवल विज्ञान की उपलब्धि नहीं होगी, बल्कि पर्यटन, वाणिज्य और जैव-विविधता संरक्षण के लिए भी नए अवसर खोलेगी। वैश्विक स्तर पर सफेद बाघ की कीमत चार से पाँच करोड़ रुपये आँकी जाती है। रूस इसी आर्थिक और पर्यटन संभावनाओं को देखते हुए इस क्लोनिंग मिशन को आगे बढ़ा रहा है।

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