उत्तराखण्ड

हाईकोर्ट नैनीताल में आया अनोखा मामला:- पति नहीं मानते भगवान को- पत्नी ने मांगा तलाक,

नैनीताल। उत्तराखंड हाई कोर्ट नैनीताल में आस्था और विश्वास के टकराव से जन्मा एक अनोखा मामला आया है, जिसे लेकर न्यायालय से जुड़े लोग तरह-तरह की चर्चाएं कर रहे हैं। ग्राम बधानी तहसील नैनीताल निवासी पूनम पति से सिर्फ इसलिए तलाक चाहती है कि उसका पति नास्तिक है और ससुराल वाले धार्मिक रीति-रिवाजों को नहीं मानते हैं।
उसका कहना है कि पति भुवन चंद्र सनवाल और ससुराल वाले स्वयंभू संत रामपाल के अनुयायी हैं। महिला ने आरोप लगाया कि 2018 में विवाह के बाद ससुरालियों ने उस पर संत का अनुयायी बनने का दबाव डाला। न मानने पर उत्पीड़न किया। घर से मंदिर हटाने और
देवी-देवताओं की मूर्तियों को पैक कर बाहर रखने के लिए कहा गया।
विवाह बचाने के लिए उसने अनुयायी बनने का निर्णय लिया तो पूजा-पाठ छोड़ने से उसका स्वास्थ्य खराब रहने लगा। इस पर संत की भक्ति छोड़ने की बात पर ससुराल वालों ने उसे उस वक्त घर से निकाल दिया जब वह गर्भवती थी। उससे दहेज लाने के लिए कहा गया। वह मायके आई तो कभी भी पति लेने नहीं आया। पत्नी ने आरोप लगाया कि जब उसके बेटे का नामकरण संस्कार था तो पति ने कह दिया कि उनके आध्यात्मिक मार्ग पर ऐसे संस्कारों की अनुमति नहीं है।
धार्मिक विश्वासों से समझौता न कर पाने, वापस ससुराल न ले जाने और पति की ओर से कोई खर्च न देने पर महिला ने पारिवारिक न्यायालय नैनीताल में तलाक की अर्जी दी लेकिन याचिका खारिज कर दी गई। इसके बाद उसने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
न्यायमूर्ति रवींद्र मैथाणी और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने कहा कि दंपती के बीच सौहार्दपूर्ण समाधान की संभावना बाकी है। उन्हें परामर्श (काउंसलिंग) के लिए भेजने का आदेश दिया है ताकि उनके बेटे के भविष्य को ध्यान में रखते हुए सुलह का रास्ता तलाशा जा सके।

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