देहरादून। उत्तराखंड सरकार द्वारा स्थानीय निकाय चुनाव तीन महीने के लिए बढ़ा देने के बाद इसी माह चुनाव लड़ने के मंसूबे बना रहे नेताओं को करारा झटका लगा है हैं। चुनाव की तैयारी में जुटे संभावित प्रत्याशी ये सोचकर प्रचार में जुटे थे कि लोकसभा चुनाव संपन्न होने के एक माह बाद निकाय चुनाव हो सकते हैं।लेकिन सरकार ने निकायों में तीन महीने के लिए प्रशासकों की नियुक्ति और बड़ा देने के बाद चुनाव की तैयारी में जुटे नेता बैक फुट पर आ गए हैं। लोकसभा चुनाव की आदर्श आचार्य संहिता 6 जून को समाप्त हो रही है, इसके बाद उत्तराखंड के तमाम नगर निकायों में मतदाता सूची को लेकर भी कोई निर्णय हो सकता है, क्योंकि कई नगर निगमों एवं निकायों में फर्जी वोट बनने की शिकायत शासन तथा चुनाव आयोग को की गई है, जिस पर सरकार जांच का सख्त निर्णय ले सकती है। इसके अलावा नई पालिकाओं एवं नगर पंचायत के परिसीमन की कार्रवाई पूर्ण करने का भी सरकार को मौका मिल जाएगा।
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