नैनीताल। बिना मान्यता के विद्यालय संचालन करने वाले विद्यालयों पर शिक्षा का अधिकार अधिनियम की सुसंगत धाराओं के तहत कार्यवाही किये जाने के सम्बन्ध में
उपर्युक्त विषयक संज्ञान में आया है कि विकासखण्ड स्तर पर कतिपय विद्यालय द्वारा प्री०-प्राईमरी से कक्षा-05 अथवा कक्षा-08 तक बिना मान्यता (अवैद्य) या बिना मान्यता नवीनीकरण कराये विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है, जो कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम का स्पष्ट उल्लंघन है। साथ ही खण्ड़/उप शिक्षा अधिकारियों द्वारा इस कार्यालय के पत्रांक 12984 दिनांक 30-03-2013 द्वारा जारी मान्यता प्रमाण पत्र के सम्बन्ध में दिशा-निर्देश चाहे गये है के सम्बन्ध में अवगत कराना है कि उक्त मान्यता प्रमाण पत्र परिशिष्ट-दो, प्रपत्र 2 इस कार्यालय से जारी किया गया है जो कि उत्तराखण्ड़ शासन के शासनादेश संख्या-1013/xxiv (1)/2011-45/2008 देहरादून दिनांक 31 अक्टूबर 2011 के भाग-1 पैरा-2(5) के अनुसार 05 साल के लिये मान्य है। साथ ही कतिपय विद्यालयों द्वारा प्री०-प्राईमरी की कक्षायें तो संचालित की जा रही है परन्तु प्री०-प्राईमरी की मान्यता नहीं ली गयी है, ऐसे विद्यालयों पर शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अध्याय4 की धारा 18 (1) एवं (2) के अन्तर्गत प्रख्यापित व्यवस्था के अनुसार निम्नवत् प्राविधान है- (1) समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी द्वारा स्थापित उसके स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन किसी विद्यालय से भिन्न कोई विद्यालय, इस अधिनियम के प्रारंभ के पश्चात् ऐसे प्राधिकारी से ऐसे प्रारूप में और ऐसी रीति में जो विहित की जाए कोई आवेदन करके मान्यता प्रमाण पत्र अभिप्राप्त किए बिना स्थापित नहीं किया जाएगा या कार्य नहीं करेगा। उपराधारा (1) के अधीन विहित प्राधिकारी ऐसे प्ररूप में, ऐसी अवधि के भीतर ऐसी रीति में और ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए जो विहित की जाएं मान्यता प्रमाण पत्र जारी करेगा। (2)परन्तु किसी विद्यालय को ऐसी मान्यता तब तक अनुदत्त नहीं की जाएगी जब तक वह धारा 19 के अधीन विनिर्दिष्ट मान और मानकों को पूरा नहीं करता है।
(3) मान्यता की शर्तों के उल्लंघन पर, विहित प्राधिकारी लिखित आदेश द्वारा मान्यता वापस ले लेगा। परन्तु ऐसे आदेश में आसपास के उस विद्यालय के बारे में निदेश होगा जिसमें गैर-मान्यता प्राप्त विद्यालय
में अध्ययनरत् कर रहे बालकों को प्रवेश दिया जाएगा। परन्तु यह और कि ऐसी मान्यता को ऐसे विद्यालय को, ऐसी रीति में जो विहित की जाए, सुनवाई का अवसर दिए बिना वापस नहीं लिया जाएगा।
(4) ऐसा विद्यालय उपधारा (3) के अधीन मान्यता वापस लेने की तारीख से कार्य करना जारी रखेगा।
कोई व्यक्ति जो मान्यता प्रमाण पत्र अभिप्राप्त किए बिना कोई विद्यालय स्थापित करता है या चलाता है या मान्यता वापस लेने के पश्चात् विद्यालय चलाना जारी रखता है, जुर्माने से जो एक लाख रूपए तक का हो सकेगा और उल्लंघन जारी रहने की दशा में जुर्माने से जो ऐसे प्रत्येक दिन के लिए जिसके दौराना उल्लंघन री रहता है, दस हजार रूपए तक का हो सके, दायी होगा।