CDS Bipin Rawat Village: तारीख थी 29 अप्रैल 2018, जगह थी उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले का गांव सैण गांव. तब CDS बिपिन रावत अपने पैतृक गांव गए थे, उनके संग उनकी पत्नी मधुलिका रावत भी साथ थीं.
एक किलोमीटर पैदल चलकर वह अपने गांव पहुंचे थे. जब वह गांव पहुंचे थे तो लोग भावुक हुए ही, जनरल बिपिन रावत की आंखें भी नम हो गईं थी. तब से अब तक ढाई साल का समय बीत चुका है, गांव वालों को जैसे ही उनके निधन होने की जानकारी मिली, तो उनके लिए यकीन कर पाना मुश्किल था।
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CDS बिपिन रावत जब 2018 में गांव आए थे, तब उन्होंने कहा था कि CDS पद से रिटायरमेंट के बाद गांव में सड़क बनवाने की कोशिश करेंगे, लोगों को गांव में बसाया जाएगा. गांव और आसपास के लोगों के लिए इलाज की बेहतर व्यवस्था करवाई जाएगी, अस्पताल बनवाने तक की बात जनरल रावत ने की थी.
लेकिन होनी को कौन टाल सकता है? तमिलनाडु के कुन्नूर में उनका Mi-17V5 हेलिकॉप्टर 8 दिसंबर को दुर्घटनाग्रस्त हो गया. हादसे में उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत 13 लोगों की जान चली गई.
बिपिन रावत जब अपने लोगों के बीच में थे तो उनका सीडीएस पद से रिटायर होने के बाद प्लान तैयार था, उन्होंने तय कर लिया था कि पौड़ी जिले के युवाओं को अधिक से अधिक सेना में भर्ती कराने के लिए सुविधाएं और जानकारी मुहैया करवाएंगे. लेकिन जो बुधवार को हुआ, उसके बाद से गांव में रहने वाले लोगों को यकीन कर पाना मुश्किल है कि ऐसा हो गया. जनरल बिपिन रावत के दादा, पिता भी फ़ौज में सेवा दे चुके है. बिपिन रावत के गांव की खास बात ये भी है कि उनके गांव के हर घर से कोई न कोई सेना में है.
चाचा हुए भावुक, अप्रैल 2022 में जाने वाले थे गांव
बिपिन रावत से जुड़ी अपनी यादों का जिक्र करके उनके 70 साल के चाचा भरत सिंह रावत (Bharat Singh Rawat) भावुक हो गए. सैण गांव ( Saina village of Dwarikhal block) में रहने वाला इस समय यह एकमात्र परिवार है. भरत सिंह पहले किसी काम से कोटद्वार गए हुए थे लेकिन जैसे ही उन्हें हादसे के बारे में जानकारी मिली, इसके बाद वह वापस आ गए. भरत सिंह रावत ने कहा कि सूचना मिलने के बाद कई लोग घर पहुंचे और उन्हें सांत्वना दी.
सभी की आंखे नम थी. 2018 में जब बिपिन रावत घर आए तो ये भी वादा करके गए कि गांव में रिटायरमेंट के बाद घर बनवाएंगे. उनका गांव से बहुत लगाव था, वह अक्सर बोलते थे कि रिटायरमेंट के बाद गांव के लिए कुछ न कुछ जरूर करेंगे. भरत सिंह ने बताया कि वह अक्सर फोन पर उनसे बात करते थे, साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अगले साल 2022 अप्रैल में गांव जरूर आएंगे. ये कहते हुए भरत सिंह के आंसू छलक पड़े. बोले, जो कुछ भतीजे (बिपिन रावत ) ने सोचा था. उसकी इच्छा अब पूरी नहीं हो पाएगी.
कुल देवता के किए थे दर्शन
बिपिन रावत जब 2018 में गांव में आए थे, तब उन्होंने अपने कुल देवता गूल के दर्शन किए थे. पूरे परिवार के साथ फोटो भी खिंचवाई थी, खाली हो चुके गांव और पलायन पर चिंता भी व्यक्त की थी.
गांव में शोकसभा
CDS विपिन रावत के निधन के बाद द्वारीखाल ब्लॉक के बिरमोली खाल में ग्रामीणों ने शोकसभा आयोजित की. जनरल रावत का अंतिम संस्कार शुक्रवार को दिल्ली में होगा. इस घटना के बाद उत्तराखंड में तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गई है.